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Showing posts with the label निर्गुण चेतावनी भजन

मनवा भूलो जावे रे

 मनवा भूलो जावे रे मना क्यों भूलो जावे रे।  सतगुरु जी समझावे रस्ते क्यो नी आवे रे॥ मेहर हुई महादेव री थने मनख बणायो रे,  राम नाम रा कोल करने जग में आयो रे। मनवा भूलो जावे रे मना क्यों भूलो जावे रे, सतगुरु जी समझावे रस्ते क्यो नी आवे रे पर निंदा में बक बक बोले जीभ थकावे रे, नाम राम में ओटा लेवे थने आलस आवे रे। मनवा भूलो जावे रे मना क्यों भूलो जावे रे, सतगुरु जी समझावे रस्ते क्यो नी आवे रे। खेल तमाचा देखण जावे रैण गमावे रे, सतरी संगत में आवे थाने निंद्रा आवे रे। मनवा भूलो जावे रे मना क्यों भूलो जावे रे,  सतगुरु जी समझावे रस्ते क्यो नी आवे रे। मध पिवे और नशो कर तू धूम मचावे रे, मात पिता सु करे लड़ाई शर्म नी आवे रे। मनवा भूलो जावे रे मना क्यों भूलो जावे रे  सतगुरु जी समझावे रस्ते क्यो नी आवे रे जियाराम रो केणो काई तू बुरो मनावे रे, ऋषि मुनि केता आया वे नरगा में जावे रे। मनवा भूलो जावे रे मना क्यों भूलो जावे रे, सतगुरु जी समझावे रस्ते क्यो नी आवे रे।

मनवा भूलो जावे रे मनवा

मनवा भूलो जावे रे मना क्यों भूलो जावे रे।  सतगुरु जी समझावे रस्ते क्यो नी आवे रे॥ मेहर हुई महादेव री थने मनख बणायो रे,  राम नाम रा कोल करने जग में आयो रे। मनवा भूलो जावे रे मना क्यों भूलो जावे रे, सतगुरु जी समझावे रस्ते क्यो नी आवे रे पर निंदा में बक बक बोले जीभ थकावे रे, नाम राम में ओटा लेवे थने आलस आवे रे। मनवा भूलो जावे रे मना क्यों भूलो जावे रे, सतगुरु जी समझावे रस्ते क्यो नी आवे रे। खेल तमाचा देखण जावे रैण गमावे रे, सतरी संगत में आवे थाने निंद्रा आवे रे। मनवा भूलो जावे रे मना क्यों भूलो जावे रे,  सतगुरु जी समझावे रस्ते क्यो नी आवे रे। मध पिवे और नशो कर तू धूम मचावे रे, मात पिता सु करे लड़ाई शर्म नी आवे रे। मनवा भूलो जावे रे मना क्यों भूलो जावे रे  सतगुरु जी समझावे रस्ते क्यो नी आवे रे जियाराम रो केणो काई तू बुरो मनावे रे,  ऋषि मुनि केता आया वे नरगा में जावे रे। मनवा भूलो जावे रे मना क्यों भूलो जावे रे, सतगुरु जी समझावे रस्ते क्यो नी आवे रे।

धिन धिन दासी गुरु हमारी

सुलताना मुल्क बुखारंदा धिन है बांधी गुरु हमारी,  रस्ता बताया पिव प्यारन दा जिनको नेह लगा ईश्वर से  रामो ही राम पुकारंदा सूती सेरी खड़ी विगुती,  तीन ताजणा ताड़ंदा बादशाह से किया जवाबा,  ये ही हाल तुम्हारंदा चुन चुन कलियां सैज बिछाती कली कली रस न्यारंदा अब तो धरती सोवण लागा कंकड़ नहीं बुहारंदा सवा टांक तन चोला पहरे  तीन टांक तन सारंदा अब तो बोझ उठावण लागा गुदड़ सेर अठारंदा चंगी चीज निवाले लेता ताता तुरंत तैयारंदा  अब तो बासी खावण लागा  शीला सांझ सवेरे दा दल बादल ले लश्कर चढता फौजा चढ़ती नगारंदा अब तो पैल चारण लागा तजिया राज पैजारंदा इतना तज कर लीनी फकीरी  धिन आकीन विचारंदा  कहे कबीर सुणो भाई साधों फकड़ ज्ञान अखारंदा ।

भजन यूं करना रे निर्भय होय

भजन यूं करना रे निर्भय होय नचीत ॥टेर ॥ आसन पद्म निज ध्यान लगावो,  तन मन इन्द्रियों जीत।  सिकल्प विकल्प मेट महा  फुरणा तुर्या सोही अतित॥  रवि-शशी का देख स्वरोदा  सुखमण कर प्रतीत ।  अड़द उड़द बीच तार लगावे,  सूरत करे संगीत ॥ अगम भोम का अदल मोरछा,  बांध लिया तन बीच  भजन तोब शिखर गढ़ छुटी  टूटी मेरू भीत ॥ पागी चढ़िया शिखर गढ़ माही  वहां नहीं उष्ण शीत।  असंख भाण सत गुरु की  शोभा बिन नेणा प्रतीत॥ कर बिन ढोल बजावे नटवो साज बिन संगीत  बिना पाव वहां नटणी नाचे बिन मुख गावे गीत ॥ अदभुत खेल खिलाड़ी खेले,  यह बेगम की रीत  बाबुलाल सतगुरु की कृपा,  बाजी लीनी जीत ॥

गोविन्द रा गुण गाय बन्दा उमर जावे

 दोहा : सोने री लंका बनी और सोने रा घर बार, रति सोनो ना मलियो रावण मरती वार। हंस हंस ने बोलता दिन में सो सो वार, वे मानुष कठे गया सुरता करो विचार। ★★★ गोविंद रा गुण गाय बन्दा रे, मालिक रा गुण गांव बन्दा रे, उमरिया जावे जावे से भाई जावे। __________________________________ जावे से जावे उमरिया,  पासी कोनी आवे! थोड़ा मालिक रा गुण गांव बन्दा रे, गोविंद रा गुण गांव बन्दा रे, उमरिया जावे जावे से भाई जावे। __________________________________ गर्भवास में कोल किया था, बाहर आए हरि नाम ना लिया,  था! भूल गयो भगवान बन्दा रे, उमरिया जावे जावे से भाई जावे। __________________________________ बालपणो हद खेल गंवायो,  यौवन में माया विलमायो, करियो नी सुकरत काम बन्दा रे, उमरिया जावे जावे से भाई जावे। __________________________________ आगे बुढ़ापो आवेला भारी, ताना देवेला दुनिया सारी, भूंडी करी भगवान बन्दा रे, उमरिया जावे जावे से भाई जावे। __________________________________ रामानंद गुरू दे रया हेला, सुण ले दास कबीर तू चेला, भजो हरि वाला नाम बन्दा रे, उमरिया जावे जावे से भाई जावे। ____...

साधु भाई सतगुरु साक भरेलो

 दोहा: हंसा सरवर ना छोड़िये जो जल खारा होय, सीलर सीलर भटकता  भला नी केवे कोय। हंसा ज्यों सरवर जपे वन में जपे मोर,  थो मन में ऐसे जपो जैसे छंद चिकोर। ★★ हड़दम ताल लगी गढ़ भीतर,  नाभि से निगे करेलों,  उल्टा बाण गिगन जाय लागा,  झिल मिल जोग जगेलो! साधु- भाई सतगुरु साक भरेलो। _______________________________ सिमरिया वे सन्त पार पोचिया,  विन सिमरिया डूबेलो! साधु-  भाई सतगुरु साक भरेलो। _______________________________ उपजिया अंणद गिगन जाय गर- जिया अणहद नाद घुरेलो, पीवत प्रेम विछड़ जाई काया,  जीव पीव मिल रेलो! साधु-  भाई सतगुरु पार करेलो । _______________________________ सिमरिया वे सन्त पार पोचिया,  विन सिमरिया डूबेलो! साधु-  भाई सतगुरु साक भरेलो। _______________________________ त्रिवेणी जाय हंस विराजे,  हीरो रो सर्वण चुगे लो, मिट गई तास प्रेम सुख उपजे, जुग जुग राज करेलो! साधु-  भाई सतगुरु पार करेलो। _______________________________ सिमरिया वे सन्त पार पोचिया,  विन सिमरिया डूबेलो! साधु-  भाई सतगुरु साक भरेलो। ...

जोगियो पुरे परे रा वासी

 दोहा : माला टोपी सिमरणा सतगुरु दी बख्शीस, पल पल गुरू ने बंधगी चरण निवावु शिष। जोग लिया तुम जीव नी जो- णियो! क्यों फिरे उदियासी, भुलोड़ा जीव प्रलागति जावे, मोनखो जन्म कदे आसी, जोगियों पुरे परे रा वासी। __________________________ थोने सन्त वतावे जकी हासी, जोगियो पुरे परे रा वासी। __________________________ वेद शास्त्र भागवत गीता, वताय वताय थक जासी, पढ पढ कई नर मरगा,  हरि हाथो कदे आसी,  जोगियों पुरे परे रा वासी। __________________________ थोने सन्त वतावे जकी हासी, जोगियो पुरे परे रा वासी। __________________________ हंस भी उठे तंत भी टूटे,  बोलणा बकणा थक जासी, ठ ठो नी ठहरे र रो नी रेवे, __________________________ थोने सन्त वतावे जकी हासी, जोगियो पुरे परे रा वासी। __________________________ रघु राम मेरा गुरू पुरा, दिया शब्द तपासी,  दास पीतो गुरू रे शरणे,  जोत में जोत मिल जासी, जोगियो पुरे परे रा वासी। ★★★★

भक्ति राजी होय ने कीजो

दोहा: सगरामा संसार में माला मोटी बात, धन्य नर जो फेरसी फेरे दिन ने रात,  फेरे दिन रात कमाई लागे हद भारी,  के सुरगा जावसी के मोनको तैयारी,  ऊंचे ठिकोणे जन्मसी गणा जोड़े हाथ,  सगरामा इ संसार में माला मोटी बात। ★★★ पेला दिल ओपणो होजो, पसे पोमड़ो दीजो! करो- सरदा सतगुरु जी रे आगे,  हिम्मत हार मती रीजे,  भक्ति राजी होय ने कीजो।  _______________________________ जो थारो मन क्यो नी मोने,  दोष गुरो ने मत दीजो,  भक्ति राजी होय ने कीजो।  _______________________________ झूठी निंदा कुबद कठारी,  ए पेला तज दीजे! सत- गुरु श्याम मुक्ति रा दाता,  वोरो शरणो लीजो वो,  भक्ति राजी होय ने कीजो। _______________________________ जो थारो मन क्यो नी मोने,  दोष गुरो ने मत दीजो,  भक्ति राजी होय ने कीजो।  _______________________________ जो तरवा थोरे इच्छा वे तो,  तुरंत तैयारी कर लीजो,  शिष उतार धरियो गुरू आगे,  तन मन अर्पण कीजो,  भक्ति राजी होय ने कीजो। _______________________________ जो थारो मन क्यो नी मोने,  ...

वारि मारा सन्तों ने बलियारी

दोहा: कहे सन्त सगराम भजन री करड़ी घाटी,  आडा ऊबा पाप हाथ में लोम्बी लाठी,  लोम्बी लाठी हाथ में आगे बढण दे नाय,  जो दे आगो पावड़ो दे गाबड़ रे माय,  दे गाबड़ रे माय कमाई कीनी माठी,  कहे सन्त सगराम भजन री करड़ी घाटी। ★★★★★  सील संतोष री नोको सड़कों, जहाज वणावो हद भारी,  सतरी संगत री गाड़ी बणावो,  बैठो नर और नारी वारि- मारा सतगुरु ने बलियारी।  ____________________________________ गाड़ी में बैठ गणो सुख पावों,  टल जाई नरक री द्वारी,  वारि मारा सन्तों ने बलियारी। ____________________________________  मन ममता रा इंजन बणावो,  गैर कलस तन धारी,  ज्ञान ध्योन रा तेल भर दो,  प्रेम री दो पिचकारी वारि-  मारा सतगुरु ने बलियारी। ____________________________________   गाड़ी में बैठ गणो सुख पावों, टल जाई नरक री द्वारी,  वारि मारा सन्तों ने बलियारी। ____________________________________  पांच विषय रा कर दो कोयला,  अगम निगम फूंक मारी,  ममता जोगण ने मई कर मारो,  जद वेला टिकटो री तैयारी,  वारि ...

मन रे राम भजन करिये

दोहा: माला वर्ष पचास री सत्संग की पल एक, तोई बराबर तुले नहीं सुखदेव कियो विवेक। सत्संग घर-घर नहीं नहीं घर घर गजराज, सिंह का टोला नहीं नहीं चंदन को बाग। ★★★★★ सतरी संगत रा मातम सुणिये,  राम सभा तुम करिये,  शुर वीरों रा एही है लक्षण,  समझ समझ पग धरिये मन- रे राम भजन तुम करिये।  _____________________________ हरि भजन रे कारणे,  मिनखा देह धरी हैं मन-  राम भजन तुम करिये। _____________________________ एकल रंगा एकल वरणा,  एकता घाट घडिये तप-  धारी रा देख तमाशा,  खम्मा खम्मा करायें मन-  राम भजन तुम करिये। _____________________________ हरि भजन रे कारणे,  मिनखा देह धरी हैं मन-  राम भजन तुम करिये। _____________________________  सोनो चांदी पर्दे रखिये,  लोहा चौक धरिए,  काम पड़े झगड़े में जावो,  शुर वीरों से अडिये मन-  राम भजन तुम करिये। _____________________________  हरि भजन रे कारणे,  मिनखा देह धरी हैं मन-  राम भजन तुम करिये। _____________________________  दया गरीबी और आधी-  नता पापी तो ...

करो भजन वो होरा

दोहा: मिनख मिनख में आतरो मिनख मिनख में फेर, घणा मिनख हैं रति रति कोई हैं सवा सेर । धरती माथे मिनख घणा मिनखा रो सुगाल, जिण मिनखो में मिनख पणो वोरो है काल। ★★★★★ मनख जमारो भाई होरो  नहीं है कोई होरा ने कोई दोरा एक रंग भाई मिनखा रो नही,  कोई काला ने कोई गोरा  सन्तों करो भजन वो होरा _______________________________ भजन बिना चौरासी नी छूटे  आगे पड़ेला फोड़ा सन्तों   करो भजन वो होरा । _______________________________ कोई  हाले हस्ती घोड़े, कोई गाल गला में डोरा, कोई के राजा राज कंरता कोई उपाड़े बोरा सन्तों  करो भजन वो होरा। _______________________________ भजन बिना चौरासी नी छूटे  आगे पड़ेला फोड़ा सन्तों   करो भजन वो होरा । _______________________________ कोई जिमे माल मलिदा,  कोई एक तन रा कोरा, कोई एक मगता घर घर- मोगे हाथ लिया कटोरा,  संतो करो भजन वो होरा। _______________________________ भजन बिना चौरासी नी छूटे  आगे पड़ेला फोड़ा सन्तों   करो भजन वो होरा । _______________________________ कोई एक पेरो सोनो रूपो, ...

कारीगर क्यों थु भटके रे

दोहा: सांच बराबर तप  नहीं झूठ बराबर पाप, जिनके ह्रदय साच तिनके ह्रदय हरि आप। काम करो ओदर भरो मुख से सिवरो राम, ऐड़ा सोदा नी मिले करोड़ खर्च लो दाम। ★★★    कारीगर क्यों थु भटके रे, कर मालिक ने याद काम, थारो कदे नी अटके रे। कारीगर पथर घड़यो,  पथर में पायो छेद, छेद माहिने जीव जीवतो,  नही जीवण री उम्मीद, मुंह में दाणों लटके रे, कर मालिक ने याद काम-  थारो कदे नी अटके रे, कारीगर क्यों थु भटके रे। _____________________________ कारीगर करतार ने, रे करने लाग्यो याद, दौड़ बुढापो आवियो रे, दौड़ बुढ़ापे आवसी रे, कदे नहीं किंयो याद- भरोसो बैठो लटके रे,  कर मालिक ने याद काम-  थारो कदे नी अटके रे,  कारीगर क्यो थु भटके रे। _____________________________ जंगल में मंगल भया, चरू मिल्या दो चार, भगत केवे भगवान ने रे, बाध हीरा री पोट-- घरे म्हारे क्यूं नहीं पटके रे, कर मालिक ने याद काम-  थारो कदे नी अटके रे,  कारीगर क्यो थु भटके रे। _____________________________ चोरो ने चर्चा सुणी रे, दीना ढकण उगाड़, कर्म हीन कैसे पावे धन का हो गया साप, बात चोरां ने खटके ...

राम जी मिल जावे नेचो राखो सांची बात रो

दोहा:  तुलसी तन मन सेविये नेचे भजिये राम, मिनख मजूरी देत हैं नहीं राखे भगवान। अजगर करे ना चाकरी पंछी करे नी काम, दास मलूका यूं कहे सबको देत भगवान। दादू दूनिया बावली सोच करें मन गेली, देवण वालों देवसी दिन उगा सू पेली। ★★★ राम जी मगर जावे नेचो राखो सांची बात रो सांव- रियो मिल जावे नेचो राखो, सांची बात रो।  ††††††  मात पिता री सेवा करलो,  तीरथ गंगा मात रो अटे,  दियोड़ो आगे मिलेला,  लेणो हाथो हाथ रो।  राम जी मगर जावे नेचो  राखो सांची बात रो सांव- रियो मिल जावे नेचो राखो, सांची बात रो। _____________________________ नुगरा नर रो संग नी करणो,  तिरिया चंचल जात रो,  मार्ग हैं मुक्ति रो भायो,  सत्पुरुषों रो साथ दो। राम जी मगर जावे नेचो, राखो सांची बात रो सांव- रियो मिल जावे नेचो राखो, सांची बात रो। _____________________________ सांचा सन्त सांची केवे, मानो उण री बात को,  नर नारी दोनों ही समझो,  कारण नहीं है जात रो।  राम जी मगर जावे नेचो,  राखो सांची बात रो सांव- रियो मिल जावे नेचो राखो, सांची बात रो। ____________________...

अतरी वातो रो हरि ने ओलबो

दोहा: नागर वेल निर्फल गई सोना गया सुगन्ध, कुंजर का धीणा गया भूल गया गोविंद। ★★★ अतरी वातो रो हरि ने ओलबो,  क्यों भुल्यो रे भगवान,  क्यों भूल्यो रे किरतार अतरी  वातो रो हरि ने ओलबो रे.. _____________________________  पिपलियो झूरे सायबा फूल, विना फल विन नागरवेल,  वोझणी झूरे सायबा पुत्र,  विना ए केड़ा कुदरत खेल॥ अतरी वातो रो हरि ने ओलबो,  क्यों भुल्यो रे भगवान,  क्यों भूल्यो रे किरतार अतरी  वातो रो हरि ने ओलबो रे.. _____________________________ देवलिये बिना केड़ी मुर्ति,  पुत्र बिना रे परिवार,  सालों रे बिना केड़ो सासरो,  कुछ करे रे मनवार॥  अतरी वातो रो हरि ने ओलबो,  क्यों भुल्यो रे भगवान,  क्यों भूल्यो रे किरतार अतरी  वातो रो हरि ने ओलबो रे.. _____________________________ गायों रो ग्वालियो सायबा मरजो, मती खोड़ो मत सुरजी रो सोंड,  नेनो रे थको रा मायत मरजो, मती मत वेजो बालक रोंड॥ अतरी वातो रो हरि ने ओलबो,  क्यों भुल्यो रे भगवान,  क्यों भूल्यो रे किरतार अतरी  वातो रो हरि ने ओलबो रे.. _____...

हंसला एकलड़ी कोई मेलों

दोहा: कहे  सन्त सगराम सुणो सज्जन मिता, राम रटो दिन रात लक्ष्मण ने कयो सीता, लक्ष्मण ने सीता कयो अर्जून ने भगवान, पार्वती ने शिव कयो थे धरो राम रो ध्यान, धरो राम रो ध्यान ए निच दिन जावे वीता, कहे सन्त सगराम सुणो सज्जन मिता। ★★★ गेली काया भई रे दीवानी  ओ हंसलो नहीं रेलों, कुड कपट रा दागा मेटलो, ज्ञान वाली कुंडी खोलो रे  हंसला एकलडी कोई मेलो। ______________________________ विकट वनी में भव है घणेरो, कटे रे पाडुला हेलो ए हंसला, एकलडी कोई छोड़ो...जी.. ______________________________ पूरब प्रीत पेहसानो हंसा, बढ़ बढ़ कोई थे बोलो, अड़ी कोई मन मे गोटियों पड गी,  गोठो कपट री खोलो हंसला,  एकलडी कोई मेलो..जी.  ______________________________ विकट वनी में भव है घणेरो, कटे रे पाडुला हेलो ए हंसला, एकलडी कोई छोड़ो...जी.. ______________________________ सिंह रो चोलो मन पर पहरियो, बन कर रेहला चेलो, सिंग ने चितरी जोड़े हालिया, कीकर कटसी गेलो रे हंसला, एकलडी कोई मेलो..जी.. ______________________________ विकट वनी में भवर है घणेरो, कटे रे पाडुला हेलो ए हंसला, एकलडी कोई छोड़ो..जी.. _...

अजर अमर घर पाया

दोहा: कहे सन्त सगराम भजन री करडी घाटी, आडा ऊबा पाप हाथ में लोम्बी लाठी, लोम्बी लाठी हाथ में आगे बढ़न दे नाय, जो दे आगो पामड़ो दे गाबड़ रे माय, दे गाबड़ रे माय कमाई कीनी माठी,  कहे सन्त सगराम भजन री करड़ी घाटी। ★★★  अजर अमर घर ताली- लागी गेबी नाद गुराया,  सुण सुत मस्त हुआ मन,  मेरा सत में रेवो समाया, सन्तों अजर अमर घर पाया।  _____________________________ भया दीवाना हुआ मस्ताना,  सब जग री राय भुलाया, सन्तों अजर अमर घर पाया।  _____________________________ चौदह लोक काल का सारा,  मड़े काल को खाया,  काल अकाल दोनो थकिया,  ऊण घर अलख जगाया सन्तों, अजर अमर घर पाया।  _____________________________ भया दीवाना हुआ मस्ताना,  जुग री राय भुलाया सन्तों,  अजर अमर घर पाया। _____________________________ सतलोक में सत रा वासा,  मोह ममता नी माया,  चांद सुरज पवन नी पाणी,  काल पता नी पाया सन्तों,  अजर अमर घर पाया। _____________________________ भया दीवाना हुआ मस्ताना,  जुग री राय भुलाया सन्तों,  अजर अमर घर पाया। ___...

मारो हीरो गमायो कचरा में

दोहा:  कहे सन्त सगराम जी हाथ में हीरा आया, पड़ी नहीं पहचान गाल गोपण में वाया, वावत वावत वाविया लारे वसियो एक, आया हीरो या पारखु रोयो माथो सेप, रोयो माथो सेप ऐड़ा मैं घणा गमाया, सन्त कहे सगराम जी हाथ में हीरा आया, ★★★★★ पांच पच्चीस वाला झगड़ा मैं,  मारो हीरो गमायो कचरा में,  मारो हीरो गमायो कचरा में। _____________________________  अगम बतावे कोई पिछम बतावे,  कोई बतावे पाणी पत्थरा में,  मारो हीरो गमायो कचरा में। _____________________________ तीर्थ बतावे कोई व्रत बतावे,  कोई बतावे माला जपणा में, मारो हीरो गमायो कचरा में। _____________________________ ऋषि मुनि पीर अवलिया,  काया गवां दीवी मगरा में,  मारो हीरो गमायो कचरा में। _____________________________ ब्राह्मण होय ने वेद ना जाणे,  पोती गमाई सब नखरा में,  मारो हीरो गमायो कचरा में। _____________________________ जोगी होय जो मुक्त ना जोणे,  पड़िया चौरासी रा चक्करा में,  मारो हीरो गमायो कचरा में। _____________________________  दास कबीर सा ने हीरो लादो,  धीरब मिली एक ...

थारी मोह माया ने छोड़ क्रोध ने

दोहा: जाणो हैं रैणो नहीं मरणा विशवाविष, दो दिना रे कारणे क्यों भूले जगदीश। ओ मेलों संसार को अटे आवा जावा री रीत, ऐसी करणी कर चलो थारा दूनिया गावे गीत। ★★★ थारी मोह माया ने छोड़, क्रोध ने तज दे थारी उमर,  नीति जाय राम ने भज ले। ____________________________ थारी डगमग हाले चाल नाड़, कमर गई झूक रे थारे सिर पर, घूमे काल अगाड़ी तज रे।  थारी मोह माया ने छोड़....  ___________________________ थारा  बदलिया काला केश, धोलो ने लज रे थारी आंख्यो,  बुझे नाई कान गया रूक रे, थारी मोह माया ने छोड़....  ___________________________ थारी परणी छोड़यो प्रेम, नहीं थारे हद रे थारा बेटा, बोले बोल मरेला कद रे,    थारी मोह माया ने छोड़....   ___________________________ कहत कबीर कर जोड़, बालद गई लद रे थारो लेको, पुछेला राम मरेला जद रे,  थारी मोह माया ने छोड़  क्रोध ने तज दे थारी उमर,  बीती जाय राम ने भज ले।  ★★★★★

ओ तन पावणो रे बीरा मत कर

दोहा : कबीरा गंदी देय का हमको भरोसा नाय, काले मिलो बजार में फेर मसोणा माय। आया हैं नर जायेगा राजा रंक फकीर, कोई सिंहासन चढ़ चले कोई बंधे जंजीर। ★★★   ओ तन पावणों रे बीरा, मत कर मान गुमान, परसु आज काल में थारो, ओ छोड़ चले मेहमान,  ओ तन पावणों रे बीरा मत करो मान गुमान। _________________________  नदी नाला सब बिछडे, बिसडीयो मिले ना थू क्यों गाफल सोय रयो रे समझ देख मन माय, ओ तन पावणों रे बीरा, मत करो मान गुमान। _________________________ मौत खड़ी सिर ऊपरे रे, जीवणो है जूठी आस, क्या जानू कद आवसी, सांस बटाऊ ड़ो वास, ओ तन पावणों रे बीरा,  मत करो मान गुमान। _________________________  सत्र सिंहासन छोड़ के- बिरा मर मर गया रे अमीर, अब तो बंदा चेत जा रे, थारो कासों दाग़ शरीर, ओ तन पावणों रे बीरा,  मत कर मान गुमान। _________________________ झूठी जग री मोहनी, जूठा तन धन धाम, रामचरण अब चेत जा, थोड़ो सुमर सनेही राम, ओ तन पावणों रे बीरा, मत कर मान गुमान । _________________________ परसो आज काल में थारो, ओ छोड़ चले मेहमान,  ओ तन पावणो रे बीरा,  मत कर मान गुमान । ★★★★★ ...

मत कर काया रो अभिमान काया कुंभ से कांची

मत कर माया रो अभिमान  मत कर काया रो अभिमान  काया कुंभ से कांची-२ नर थारी आत्मा ने जाण ले  जाण ले पहचाण मत कर काया रो अभिमान काया कुंभ से कांची । चल गया माय ने बाप  चल गया कुटुंब परिवार  चल गया संगड़ा साथी-२ मत कर माया रो अभिमान  मत कर काया रो अभिमान  काया कुंभ से कांची-२ चल गया  राणा  ने उमराव  ज्योरा पडि़या रिया धन माल खंभे झूलता हाथी-२  मत कर माया रो अभिमान  मत कर काया रो अभिमान  काया कुंभ से कांची-२  निट गयो  दमड़ी रो  तेल  ज्योरो बिखरियो सब खेल  बुझ गया दिवा ने बाती-२  मत कर माया रो अभिमान  मत कर काया रो अभिमान  काया कुंभ से कांची-२  सतगुरु मिलिया गोरखनाथ सन्तों रो अमरापुर में वास  सुरता सायब में लागी-२  मत कर माया रो अभिमान  मत कर काया रो अभिमान  काया कुंभ से कांची-२  भावार्थ:  सन्तो ने कहां हैं: मानव जीवन में हमें किसी प्रकार का घमंड नहीं करना चाहिए ! इस आत्मा को जानकर मनुष्य को  पहचान करनी चाहिए कहां हैं कि एकांत में बैठकर जर...