करो भजन वो होरा
दोहा:
मिनख मिनख में आतरो मिनख मिनख में फेर,
घणा मिनख हैं रति रति कोई हैं सवा सेर ।
धरती माथे मिनख घणा मिनखा रो सुगाल,
जिण मिनखो में मिनख पणो वोरो है काल।
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मनख जमारो भाई होरो
नहीं है कोई होरा ने कोई दोरा
एक रंग भाई मिनखा रो नही,
कोई काला ने कोई गोरा
सन्तों करो भजन वो होरा
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भजन बिना चौरासी नी छूटे
आगे पड़ेला फोड़ा सन्तों
करो भजन वो होरा ।
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कोई हाले हस्ती घोड़े,
कोई गाल गला में डोरा,
कोई के राजा राज कंरता
कोई उपाड़े बोरा सन्तों
करो भजन वो होरा।
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भजन बिना चौरासी नी छूटे
आगे पड़ेला फोड़ा सन्तों
करो भजन वो होरा ।
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कोई जिमे माल मलिदा,
कोई एक तन रा कोरा,
कोई एक मगता घर घर-
मोगे हाथ लिया कटोरा,
संतो करो भजन वो होरा।
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भजन बिना चौरासी नी छूटे
आगे पड़ेला फोड़ा सन्तों
करो भजन वो होरा ।
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कोई एक पेरो सोनो रूपो,
कोई कड़ा लोहे रा कहत-
कबीर सुणो भाई सन्तों,
भजन बिना जीव दोरा ।
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भजन बिना चौरासी नी छूटे
आगे पड़ेला फोड़ा सन्तों
करो भजन वो होरा ।
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