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खोल भ्रम रो तालो हे मां

दोहा:  सिर सुंधा धड़ कोटड़ा पग पिछोला री पाल। मां विराजे आहोर में ज्यारे गले फूला री माल॥ "खोल भ्रम रो तालो हे मां" इंदिरा पूरी से उतरी हे मां  थारे हाथ भलक रियो भालो-२ कर मां देवल में अजवालो  मां खोल भरम रो तालो मारी मां.हो.मां.. ___________________________________ सुंधा गढ़ में बैसनो हे मां  भेलो भेरू हैं मतवालों-२ देवी खोल भरम रो तालो  करजो मंदिर में अजवालो मां खोल भ्रम रो तालो मारी मां.हो.मां ___________________________________ ऊंचे भाखर बैसनो हे मां  थोरे सिंह चले मतवालों-२ मैया खोल भरम रो तालो कर मां मंदिर में अजवालो मां खोल भ्रम रो तालो मारी मां.हो.मां ___________________________________ सात बेनो रो जुलनो हे मां  थोरे खोले खेतल प्या IITरो-२ मां खोल भरम रो तालो करजो देवल में अजवालो मां खोल भ्रम रो तालो मारी मां.हो.मां ___________________________________ भावपुरी भव देखियो हे मां  भूलो ने मार्ग गालों-२ मां खोल भरम रो तालो  करजो देवल में अजवालो   बाबो डूंगरपूरी बोलियां हे मां हूं मैं शरणो रो रखवालो करजो देवल में अजवालो मां खोल...

चौंसठ जोगणी रे देवी देवलिये/माताजी भजन

चोसठ जोगिनी रे देवी रे देवळिये रम जाय ॥टेर॥ घूमर घालनी रे देवी रे देवळिये रम जाय । हंस सवारी कर जगदंबा ब्रम्हाळ रूप बनायो । चार वेद मुख चार कहिजे, चार वेद जस गायो ॥ घूमर घालनी रे देवी रे देवळिये रम जाय । गरुड़ सवारी कर जगदंबा विष्णु रूप बनायो । गदा पदम संग चक्र बिराजे, मधुबन रास रचायो ॥ घूमर घालनी रे देवी रे देवळिये रमजाय । बैल सवारी चढ़ जगदंबा शिवजी रूप बनायो । जटा मुकुट मै गंगा बिराजे. शेष नाग लीपटायो ॥ घूमर घालनी रे देवी रे देवळिये रम जाय । सिह सवारी कर जगदंबा शक्ति रूप बनायो । सियाराम तेरी करें स्तुति,तुलसीदास जस गायो ॥ घूमर घालनी रे देवी रे देवळिये रम जाय । 

हिरदा में रेवो मावडी़ परदा में/माताजी भजन

हिवड़ा में रेवो मावड़ी परदा में रेवो, जुग माहि जोत सवाई म्हारी जोगमाया । टेर :         डावोडी भुजा पर दर्शन दो म्हारी जोगमाया, हिरदा में रेवो मावड़ी परदा में रेवो । अजारा बजारा मावड़ी दर्जी ने बिठाउला ।  हुकम करो तो ध्वजा चाढू म्हारी जोगमाया ॥ हिरदा में रेवो मावड़ी परदा में रेवो।  डावोडी भुजा पे दर्शन देवो म्हारी जोगमाया ॥टेर॥ अजारा बजारा मावड़ी माली ने बिठाऊला । हुकम करो तो फुलड़ा लाऊ म्हारी जोगमाया ॥ हिरदा में रेवो मावड़ी परदा में रेवो ।  डावोडी भुजा पे दर्शन देवो म्हारी जोगमाया ॥टेर॥ अजारा बजारा मावड़ी सोनी ने बिठाऊला । हुकम करो तो छतर लाऊ म्हारी जोगमाया ॥  हिरदा में रेवो मावड़ी परदा में रेवो। डावोडी भुजा पे दर्शन देवो म्हारी जोगमाया ॥टेर॥ अजारा बजारा मावड़ी कन्दोई बिठाऊला।  हुकम करो तो लाडू चढ़ाऊ म्हारी जोगमाया ॥ हिरदा में रेवो मावड़ी परदा में रेवो।  डावोडी भुजा पे दर्शन देवो म्हारी जोगमाया ॥टेर॥ राज माता मैया थारा गुण गावे । आया रे भक्तों ने चरणा राखो जोगमाया ॥ हिरदा में रेवो भवानी परदा में रेवो, जुग माई ज्योत सवाई मारी जोगमाया ! हिरदा में ...

शरणे आयो री देवी लजा राखजो/माताजी भजन

शरणे आयो री देवी लज्जिया राखजो । राखो छतर वाली छाया मारी जरणी जोगमाया..हे.. हां.. सोना रूपा री इट पड़ाऊ मां देवलियो बणाऊंला । देवी रमतो-२ आऊंला, चरणा में शिष निवाऊंला । मारी जरणी जोगमाया..हे..हा.. गोरी गाया रो गोबर मंगाऊ मां आंगणियो निपवाऊला देवी रमतो रमतो आऊंला  चरणा में शिष नवाऊंला मारी जरणी जोगमाया..हे.. हां कंकु केसर री घार गलाऊ मां देवलियो निपवाऊंला । देवी रमतो-२ आऊंला, शरणा में शिष निवाऊंला । म्हारी जरणी जोगमाया..हे..हा.. गौरी गाय रो घिरत मंगाऊ मां दिवला री ज्योत जगाऊंला । देवी रमतो रमतो आऊंला, चरणों में शिष निवाऊंला । म्हारी जरणी जोगमाया..हे..हां.. मोती मुंगिया आखा मंगाऊ सोवन कलश पुराऊं मां । देवी रमतो-२ आऊंला, चरणा में शिष निवाऊंला । म्हारी जरणी जोगमाया..हे..हां.. दोय कर जोड़ राजा मानसिंह बोले देवी रमतो-२ आऊंला । चरणा में शिष निवाऊंला, मारी जरणी जोगमाया..हे..हां.. 

थाने निवण करूं मैं बारम्बार/ माताजी भजन

थाने निवण करा मैं बारम्बार,जगदंबा म्हारी अरज सुणो  अर्जी सुणो म्हारी विनती सुणो थाने निवण करूं मैं बारम्बार,  जगदम्बा म्हारी अरज सुणो ॥ बिकाजी ने वचन दियो माँ गढ़ रे नींव लगाए । देशनोक में भवन बनायो बीकाणो नगर बसायो रे ॥ जगदम्बा म्हारी अर्ज़ सुणो । सेखो जी मुल्तान कैद में घर बाई रो ब्याव । बनके कावली पकड़ पंजा में,फेरा सु पेला पहुंचाया रे ॥ जगदम्बा म्हारी अरज सुणो । गंगा सिंह रे रही मदद में, मां अँग्रेज़ा री हाट । अँग्रेज़ा ने कुबुदि कराई सुतोड़ा सिंह जगायो रे ॥ जगदम्बा म्हारी वीणती सुणो । सिंह गरज कर आयो गंग पर हाथल रोकी माय । मेहर हुई जगदम्बा तेरी सिंहड़ा ने दीनो भगाय रे ॥ जगदम्बा म्हारी अरज सुणो । गांव सिराणो जात ब्रहामण दलुराम जस गाय । करणसिंह ने अविचल राखो देशनोक रे माय ॥ जगदम्बा म्हारी अरज सुणो । थाने निवण करूं मैं बारम्बार, जगदम्बा म्हारी वीणती सुणो ।  अरज सुणो म्हारी माता वीणती सुणो, थाने निवण करूं मैं बारम्बार जगदम्बा म्हारी अरज सुणो ।