थाने निवण करूं मैं बारम्बार/ माताजी भजन

थाने निवण करा मैं बारम्बार,जगदंबा म्हारी अरज सुणो 

अर्जी सुणो म्हारी विनती सुणो थाने निवण करूं मैं बारम्बार,

 जगदम्बा म्हारी अरज सुणो ॥


बिकाजी ने वचन दियो माँ गढ़ रे नींव लगाए ।

देशनोक में भवन बनायो बीकाणो नगर बसायो रे ॥

जगदम्बा म्हारी अर्ज़ सुणो ।


सेखो जी मुल्तान कैद में घर बाई रो ब्याव ।

बनके कावली पकड़ पंजा में,फेरा सु पेला पहुंचाया रे ॥

जगदम्बा म्हारी अरज सुणो ।


गंगा सिंह रे रही मदद में, मां अँग्रेज़ा री हाट ।

अँग्रेज़ा ने कुबुदि कराई सुतोड़ा सिंह जगायो रे ॥

जगदम्बा म्हारी वीणती सुणो ।



सिंह गरज कर आयो गंग पर हाथल रोकी माय ।

मेहर हुई जगदम्बा तेरी सिंहड़ा ने दीनो भगाय रे ॥

जगदम्बा म्हारी अरज सुणो ।


गांव सिराणो जात ब्रहामण दलुराम जस गाय ।

करणसिंह ने अविचल राखो देशनोक रे माय ॥

जगदम्बा म्हारी अरज सुणो ।


थाने निवण करूं मैं बारम्बार,

जगदम्बा म्हारी वीणती सुणो । 

अरज सुणो म्हारी माता वीणती सुणो,

थाने निवण करूं मैं बारम्बार जगदम्बा म्हारी अरज सुणो ।

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