भजन यूं करना रे निर्भय होय

भजन यूं करना रे निर्भय होय नचीत ॥टेर ॥


आसन पद्म निज ध्यान लगावो, 

तन मन इन्द्रियों जीत। 

सिकल्प विकल्प मेट महा 

फुरणा तुर्या सोही अतित॥ 


रवि-शशी का देख स्वरोदा 

सुखमण कर प्रतीत । 

अड़द उड़द बीच तार लगावे, 

सूरत करे संगीत ॥


अगम भोम का अदल मोरछा, 

बांध लिया तन बीच 

भजन तोब शिखर गढ़ छुटी 

टूटी मेरू भीत ॥


पागी चढ़िया शिखर गढ़ माही 

वहां नहीं उष्ण शीत। 

असंख भाण सत गुरु की 

शोभा बिन नेणा प्रतीत॥


कर बिन ढोल बजावे नटवो

साज बिन संगीत 

बिना पाव वहां नटणी नाचे

बिन मुख गावे गीत ॥


अदभुत खेल खिलाड़ी खेले, 

यह बेगम की रीत 

बाबुलाल सतगुरु की कृपा, 

बाजी लीनी जीत ॥

Comments

Popular posts from this blog

वायक आया गुरुदेव रा रूपा जमले पधारों/ लिरिक्स भजन

साधु भाई सतगुरु साक भरेलो

गोविन्द रा गुण गाय बन्दा उमर जावे