लग रही प्यास राम रस पीया


दोहा:

शब्दा मारा मर गया शब्दा छोड़िया राज,
जिणे शब्द विचारिया वोरा सरिया काज।
★★★

 लग रही प्यास राम रस पीया 





लग रही प्यास राम रस पीया

वे भगवान भलोई भजिया, 

जागा भाग नाम ने जोणिया,

वे  जिवड़ा  परवाण  हुआ, 

लग रही प्यास राम रस पीया,

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पापी पिता ऊपनिया पारस,

पुत्र  हुआ  प्रहलाद  जेड़ा, 

राखियो वैर शहर सारा सु, 

सन्त मिलिया कंवल हंसिया, 

लग रही प्यास राम रस पीया।

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मान  गुमान छोड़कर  मीरा, 

हरि कारण परिवार तजिया, 

विष रा प्याला राणे भेजिया, 

वटे पता राखी राम रजिया,

लग रही प्यास राम रस पीया, 

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सत संगत में रुपा दे रमिया,

सिर  वायण  श्रृंगार किया, 

ले खड़क ने माल कोपियां, 

थाली में बाग अजब रचाया, 

लग रही प्यास राम रस पीया, 

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जरणा ने झालो ममता ने मारो, 

थोड़ी धरो  धीरब धज्जियां गुरू,

खींवण माली लिखमोजी बोले, 

अनुभव हुआ जोने आया मजा, 

लग रही प्यास  राम रस पीया, 

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लग रही प्यास राम रस पिया,  

वे भगवान भलोई भजिया, 

जागा भाग नाम ने जोणिया, 

वे जावड़ा  परवोण  हुआ, 

लग रही प्यास राम रस पीया।

 ★★★★★





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