लग रही प्यास राम रस पीया
दोहा:
शब्दा मारा मर गया शब्दा छोड़िया राज,
जिणे शब्द विचारिया वोरा सरिया काज।
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लग रही प्यास राम रस पीया
लग रही प्यास राम रस पीया
वे भगवान भलोई भजिया,
जागा भाग नाम ने जोणिया,
वे जिवड़ा परवाण हुआ,
लग रही प्यास राम रस पीया,
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पापी पिता ऊपनिया पारस,
पुत्र हुआ प्रहलाद जेड़ा,
राखियो वैर शहर सारा सु,
सन्त मिलिया कंवल हंसिया,
लग रही प्यास राम रस पीया।
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मान गुमान छोड़कर मीरा,
हरि कारण परिवार तजिया,
विष रा प्याला राणे भेजिया,
वटे पता राखी राम रजिया,
लग रही प्यास राम रस पीया,
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सत संगत में रुपा दे रमिया,
सिर वायण श्रृंगार किया,
ले खड़क ने माल कोपियां,
थाली में बाग अजब रचाया,
लग रही प्यास राम रस पीया,
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जरणा ने झालो ममता ने मारो,
थोड़ी धरो धीरब धज्जियां गुरू,
खींवण माली लिखमोजी बोले,
अनुभव हुआ जोने आया मजा,
लग रही प्यास राम रस पीया,
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