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Showing posts with the label गुरू महिमा भजन

रामजी रे नाम रा खरा खजोना

 राम जी रे नाम रा खरा खजोना  राम जी रे नाम रा हाचा हरोदा  आयो अवसरियो भाई भूलो मती रे, गुरू रा वचन सदा ही फल मीठा  खारी खारी वस्तु लाइजो मती रे  सतड़े री कुछी धर्म वालो तालो नुगरो रे हाथ भायो दीजो मती रे गेरा गेरा फूल रोहिड़ो रे केजे  वे फूलड़ा घर लाजो मती रे गेरी गेरी नदियो बेवे रे सवाई  पर नदियों में भायो नाजो मती फल नी फले दिखे रे फूटरो गुण नहीं जिण पांव रति रे असुर मारेश धणी भक्त उबारे आद देवा ने थे भूलजो मती रे रामजी री आशा में हैं विशवासा पोणी माथे पत्थर तीरे रे  दोय कर जोड़ अखोजी खीवण बोले खाली खाली ढोलका कुटो मती रे

गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी

गणपत सुरसत शारद सिंवरू  दीजो अनुभव वाणी।  परसत परसत पीर परसिया परसी पीरों री निशाणी संतों ! गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी ॥ ज्ञान सुणावे कियो हरि नेड़ो बात आगम री जाणी   संतों ! गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी ॥ दिल में दरशिया प्रेम से परसिया सतगुरा री सेलाणी अगम निगम रा भेद बताया आद जुगत ओलखाणी संतों ! गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी॥ अल्लाह खुदा अलख निरंजन निराकार निर्वाणी हरदम हेर घेर घर लावो मिळी आ तो सतरी निशाणी संतों ! गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी॥ गुरु अवधूता पूरा मिळिया गुरु मिळिया गम जाणी।  कहे हेमनाथ सुणो भाई सन्तों सुरता सहज समाणी संतों ! गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी॥

भक्ति राजी होय ने कीजो

दोहा: सगरामा संसार में माला मोटी बात, धन्य नर जो फेरसी फेरे दिन ने रात,  फेरे दिन रात कमाई लागे हद भारी,  के सुरगा जावसी के मोनको तैयारी,  ऊंचे ठिकोणे जन्मसी गणा जोड़े हाथ,  सगरामा इ संसार में माला मोटी बात। ★★★ पेला दिल ओपणो होजो, पसे पोमड़ो दीजो! करो- सरदा सतगुरु जी रे आगे,  हिम्मत हार मती रीजे,  भक्ति राजी होय ने कीजो।  _______________________________ जो थारो मन क्यो नी मोने,  दोष गुरो ने मत दीजो,  भक्ति राजी होय ने कीजो।  _______________________________ झूठी निंदा कुबद कठारी,  ए पेला तज दीजे! सत- गुरु श्याम मुक्ति रा दाता,  वोरो शरणो लीजो वो,  भक्ति राजी होय ने कीजो। _______________________________ जो थारो मन क्यो नी मोने,  दोष गुरो ने मत दीजो,  भक्ति राजी होय ने कीजो।  _______________________________ जो तरवा थोरे इच्छा वे तो,  तुरंत तैयारी कर लीजो,  शिष उतार धरियो गुरू आगे,  तन मन अर्पण कीजो,  भक्ति राजी होय ने कीजो। _______________________________ जो थारो मन क्यो नी मोने,  ...

एक मन राम सिवरो भाया

दोहा: तुलसी मेरे राम को रिज भजो चाहे खीज,  धरती पड़िया उगसी उल्टा सीधा बीज । काम करो ओधर भरो मुख से सिवरो राम, ऐड़ा हौदा ना मिले करोड़ खर्च लो दाम । ★★★  साचे मन सायब ने सिमरो,  सोजो सुन्दर काया, त्रिवेणी रा रंग महल में  सतगुरु अमि बरसाया एक  मन राम सिवरो मेरा भाया।  ______________________________ सिवर सिवर फल पाया,  सांचे मन राम सिवरो भाया। ______________________________ नव मुठ रा छड़ा बताया,  पांचों बेल जोतराया,  सतगुरु खिली शब्द वाली-  दीनी प्रेम सदा ढलकाया,  एक मन राम सिवरो भाया। ______________________________ सिवर सिवर फल पाया,  सांचे मन राम सिवरो भाया। ______________________________ काया री वाड़ी सींचे वन- माली वंक नाल रस लाया,  इंच वाड़ी फूल अजब है,  फल होशियारे पाया एक-  मन राम सिवरो भाया।  ______________________________ सिवर सिवर फल पाया,  सांचे मन राम सिवरो भाया। _____________________________ मकनो हाथी लाल उंबाड़ी  गेरि डम वाली छाया वण  छाया मारा श्याम विराजे पल- पल दर्शन पाया एक...

सन्तों नेचे ग़रीबी नाया

दोहा: कछू क्रम कछू कर्मगति कछु भव पूरब रा लेख, कछू मिरे सतगुरु सागड़ी कछू पोते ही वेत विवेक। भक्ति भाव से ऊपजे नहीं भक्ति के वंश, हिरणाकुश घर प्रहलाद अग्रसेन घर कंस। ★★★  सन्तो नेचे गरीबी नाया। शब्दों रा बात सिमरो बड़- भागी उन मून ध्यान लगाया  सन्तों नेचे गरीबी नाया। _______________________________ पूरब लेख लिखिया मारा-  सतगुरु वोही पदार्थ पाया, घणी निवण मारी मात पिता- ने गुरू मुख खेल वताया,   सन्तों नेचे ग़रीबी नाया। _______________________________  शब्दों रा बात सिमरो बड़- भागी उन मून ध्यान लगाया  सन्तों नेचे गरीबी नाया। _______________________________ माला फेर भूल मती गाफल, अब तेरा अवसर आया, नेम धर्म साजे कोई शुरा  जमड़ा ने दूर भगाया,  सन्तों नेचे ग़रीबी नाया। _______________________________  शब्दों रा बात सिमरो बड़- भागी उन मून ध्यान लगाया  सन्तों नेचे गरीबी नाया। _______________________________ प्रजा ऊपर राजा छाया,  तप तपसी रा दाया, मनक जमारो रत्न अमो- लक सत भजनों सू पाया,  सन्तों नेचे ग़रीबी नाया। _______________...

सतगुरु हाथ धरिया सिर पर सही सही नाम सुणाया जी

दोहा:  वेद शास्त्र और सन्त जन भाखे सत्संग सार, बिन सत्संग इण जीव रो कैसे होवे उद्धार। वेद शास्त्र और ग्रन्थ में बात मिली हैं दोय, सुख दिया सुख आवे दुःख दिया दुख होय। ★★★ लिया भेख मर्दाना अवधु,  मन मेरा मस्ताना, (मेरी भई मस्ताना नार गढ़  लियो भेष मर्दाना रे साधु  मेहर भई मस्ताना)  ___________________________________ सतगुरु हाथ धरिया सिर ऊपर, सही सही नाम सुणाया जी,  अमर जड़ी रा पीदा पियाला,  तूही तूही तार मिलाया जी,  लिया भेख मर्दाना अवधु,  मन मेरा मस्ताना ।  ___________________________________ तीन गुणो री दाता रैण बणाई,  भिन्न भिन्न शिखर चढ़ाया जी, यू करेन बाबे खबरो लीनी,  हक से हुक्म हलाया जी, लिया भेख मर्दाना अवधु, मन मेरा मस्ताना ।  ___________________________________ पद्म सिंहासन निर्भय तकिया,  धिरप छतर झेलाया जी, ससि भौण का चाढे सरोदा, जुना पीर जगोया जी,  लिया भेख मर्दाना अवधु,  मन मेरा मस्ताना ।  ___________________________________ अकल कला और बगतर टोपी,  खमियो रा खड़क समाया जी, लेखड़ग ने ख...

कारीगर क्यों थु भटके रे

दोहा: सांच बराबर तप  नहीं झूठ बराबर पाप, जिनके ह्रदय साच तिनके ह्रदय हरि आप। काम करो ओदर भरो मुख से सिवरो राम, ऐड़ा सोदा नी मिले करोड़ खर्च लो दाम। ★★★    कारीगर क्यों थु भटके रे, कर मालिक ने याद काम, थारो कदे नी अटके रे। कारीगर पथर घड़यो,  पथर में पायो छेद, छेद माहिने जीव जीवतो,  नही जीवण री उम्मीद, मुंह में दाणों लटके रे, कर मालिक ने याद काम-  थारो कदे नी अटके रे, कारीगर क्यों थु भटके रे। _____________________________ कारीगर करतार ने, रे करने लाग्यो याद, दौड़ बुढापो आवियो रे, दौड़ बुढ़ापे आवसी रे, कदे नहीं किंयो याद- भरोसो बैठो लटके रे,  कर मालिक ने याद काम-  थारो कदे नी अटके रे,  कारीगर क्यो थु भटके रे। _____________________________ जंगल में मंगल भया, चरू मिल्या दो चार, भगत केवे भगवान ने रे, बाध हीरा री पोट-- घरे म्हारे क्यूं नहीं पटके रे, कर मालिक ने याद काम-  थारो कदे नी अटके रे,  कारीगर क्यो थु भटके रे। _____________________________ चोरो ने चर्चा सुणी रे, दीना ढकण उगाड़, कर्म हीन कैसे पावे धन का हो गया साप, बात चोरां ने खटके ...

काया रे नगर में नीम उगायो

दोहा: सन्त बड़े  परमार्थी शीतल  ज्योरा अंग, तपत बुझावे ओरन की दे भक्ति में रंग। सन्त हमारी आत्मा और मैं संतन रो दास, रोम रोम में राम रया ज्यो फुलड़ो में वास। ★★★  काया नगर में एक नीम, उगायो जिण कुपलियो, खारी खारी ने मीठी कर,  राखो आप बड़ा उपकारी, सुंदर- काया भज लेना,  कृष्ण मुरारी। ★★  भलो होवे भगवत ने भजियो, सोई भजो नर नारी रे, सुंदर काया भजन लेणा, कृष्ण मुरारी। __________________________________ काया नगर में एक वेद  बुलायो ओगद रो उपकारी- और दवाई ज्योरे काम नी- आवे कारी कर्म वाली लागी,  भज लेना कृष्ण मुरारी, सुंदर काया भज लेना कृष्ण मुरारी। ***********  भलो होवे भगवत ने भजियो, सोई भजो नर नारी रे, सुंदर काया भजन लेणा  कृष्ण मुरारी। ___________________________________ काया नगर में आयो, वणजारो हीरो रो व्यापारी,  आधा में लाया डोडा एलची, आधा में लौंग सुपारी,  सुंदर काया भज लेना  कृष्ण मुरारी। ***********  भलो होवे भगवत ने भजियो, सोई भजो नर नारी रे, सुंदर काया भजन लेणा  कृष्ण मुरारी। ______________________________...

डूंगरपुरी सेक फरीद वार्ता

दोहा: जल से पतला कौन है कौन भूमि से भारी, कौन अग्न से तेज है कौन काजल से कारी। जल से पतला ज्ञान हैं पाप भूमि से भारी, क्रोध अग्न से तेज है कलंक काजल से कारी। ★★★ डूंगरपुरी जी महाराज-> ★  अवल वोणी अवल खोणी, अवल रा उपदेश हासी केतो  झूठी माने वे नर है बेकार,  अवगुण कारा गणा दिठा, मुखे मीठा अंतर झूठ वचनो, रा हीणा कदे नी सैण गुरो था। सेक फरीदा:>  ★ सतगुरु पारस खोण है,  लोहा जुग संसारा रति,  एक पारस संग रमे,  कंचन कर दे सारा,  ऐसो सतवादी मारो सायबो,  (हैं कोई ब्रह्म ज्ञानी सायबो)  उपजे ब्रह्म विचारा,  सतगुरु साहेब तो एक हैं। ___________________________________ डूंगरपुरी जी महाराज:>  ★  लेवता गुण ले नी जोणे,  अजोणो रो आहार हैं,  नुगरो सू हेत केड़ा,  केड़ी नुगरो रे कार हैं,  अवगुण किया गणा दिठा,  मुख मीठा अंदर झूठा,  वचनों रा हीणा कदी,  नी वे सैण गुरो रा।  सेक फरीदा:>  ★ इण शब्दों में मारो मन बसे,  उंडा उंडा नीर अपारा,  डूबी मारूं गुरू रे नाम, री सोजु कण ने सारा, ऐ...

गुरोसा थारी वाड़ी फूलो छाई

दोहा: आ तन वस री वेलड़ी गुरू अमृत री खाण, शिष दिया सतगुरु मिले तो भी सस्ता जाण। गुरु देवन के देव हो आप बड़े जगदीश, बेड़ी भवजल वीच में तारो विश्वाविस। ★★★ गुरोसा थारी वाड़ी फूलो छाई,  असन जुगो री ओलखाई,  जुगा जुगो री ओलखाई, गुरोसा थारी वाड़ी फूलो छाई। _______________________________ गणपति देवा थरपना थोरी, देवा सिवरूं शारद माई,   गजानन मासु सनमुख रइयो,  मेहर करो महमाई, गुरोसा  थारी वाड़ी फूलो छाई। _______________________________ धूप दीप से करूं रे आरती,  मोतीयन चौक पुराई,  भैरू रा वायक फिरे भाईड़ा,  दुश्मन दूर हटाई गुरोसा,  थारी वाड़ी फूलो छाई। _______________________________ अण वाड़ी में चम्पो मरवो,  चनण केल ओलखाई,  इण वाड़ी रा फूल अजब है,  फल होशियारे पाई गुरोसा,  थारी वाड़ी फूलो छाई। _________________________________ माली बड़ो मुक्त रो दाता,  फूलो री छाब भराई,  इण फूलों सू बणियो सेवरो,  शिवजी रे मुकुट चढ़ाई गुरोसा,  थारी वाड़ी फूलो छाई। _________________________________ माई बीज रे मेले मलिया,...

सतगुरु आया बिणजारा

दोहा: गुरू  ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा, गुरू साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:  आज मारे सतगुरु आया बिणजारा। ज्ञान गुणा री बाळद लाया, हीरा लाया अपारा, मूंगी चीजो लाया अमोलक ऐसा हैं गुरु प्यारा आज, मारा सतगुरु आया बिणजारा। ऐसो डाव फेर नहीं आवे, मिले ना दूजी बारा रे आज, मारे सतगुरु आया बिणजारा। ______________________________ प्रेम भक्ति की हाटां खोली,  लाला मोती जवारां, गुरुमुखी वे सो सौदा कर ले, भटकत फिर है गँवारा आज, मारे सतगुरु आया बिणजारा। ______________________________ जिण घर सत संगत नहीं होवे, वण घर जमड़ा करे है पुकारा, आठों पेर बठे रेवे उदासी, वे जावें नरक दवारा आज, मारे सतगुरु आया बिणजारा। ________________________________ जिण घर सत संगत नित होवे, वटे संतजन करे पुकारां, आठों पोहर हरी रा गुण गावे  जावे साहिब के दवारा आज, मारे सतगुरु आया बिणजारा। ________________________________ साहेब कबीर मिल्या गुरु पूरा, बिणज किया अति भारा, धर्मीदास दासा के दासा, ह्रदय में सिरजन हारा आज मारा सतगुरु आया बिणजारा। ________________________________ ऐसो डाव फेर नह...

आज मारो भाग जागो भलो ऊगो भोण रे।

दोहा:  सतगुरु आवत देखिया कांधे धरी बंदूक, गोला छूटा ज्ञान रा भाग गया जमदूत। सतगुरु में भगवान हैं ज्यो तिली में तेल, ज्ञान की घाणी फेराय देख गुरू रो खेल। "आज मारो भाग जागो" आज मारो भाग जागो, भलो ऊगो भोण रे, सन्त आया पोमणा, गुरूदेव आया पोमणा, आंगणिये घमसोण रे, आज मारो भाग जागो, भलो ऊगो भोण रे  ___________________________________ सन्त आया आनन्द छाया, कर दी तन री पोण रे, ज्ञान गोला उडण लागा, टूट गई कूल कोण रे, आज मारो भाग जागो, भले ऊगो भोण रे। ___________________________________ शब्द सुणिया भला वणिया,  मेटिया सब उफोण रे, भरम करम तीमर मेटिया,  तीर मारयो तोण रे, आज मारो भाग जागो, भलो ऊगो भोण रे।  ___________________________________ चार पेड़ी शिखर मेड़ी,  ज्योरी पड़ गई जोण रे, जोत जाय शिखर दर्शे, घट भया उजियारा रे, आज मारो भाग जागो, भलो ऊगो भोण रे। ___________________________________ नहीं आणा नहीं हैं जाणा,  दिल बीच खुल गई खोण रे,  गुरू शरणे सिमरथ बोले, पद पायो निर्वोण रे आज मारो,  भाग जागो भलो ऊगो भोण रे,  सन्त आया पोमणा, गुरूदेव आया पोमणा...

शब्द सावरणी मारा सतगुरु दीवी

॥ दोहा ॥  सतगुरु बिन सोजी नहीं सोजी सब घट माय, रजब मतिरा खेत में चिड़िया को गम नाय। ★★★ शब्द छावरणी मारा सतगुरु,  दिनी पांच रे पच्चीस बोराया,  कर्मो रा लेख कछू नी टलिया,  मारा सतगुरु लिनी बड़ायो, क्या करू तन त्यागी रे,  मारो मनड़ो भयो वैरागी,  राम जी से राम धुन लागी,  हरि हरि सु धुन लागी रे, मारो जीवड़ो भयो वैरागी  हो वैरागी  ____________________________ नाभि से नाव चली गिगनो,  में  वटे चेतन लेर हलाया हे, चेतन लेर चढ़ी सिर वंके, धीरे धीरे घंटी बजाया, क्या करू तन त्यागी रे,  मारो मनड़ो भयो वैरागी, राम जी से राम धुन लागी,  हरि हरि सु धुन लागी रे, मारो जीवड़ो भयो वैरागी, हो वैरागी‌। ____________________________ गिगन मंडल में धुणा हमारा, बिना अग्नि तप लाया हे, बिना देवलिये देव परसिया, वना भजिये फल पाया हे, क्या करू तन त्यागी रे, मारो मनड़ो भयो वैरागी,  राम जी से राम धुन लागी, हरि हरि सु धुन लागी रे, मारो जीवड़ो भयो वैरागी  हो वैरागी। ____________________________ तीन लोक रा तीर्थ मैं जाणु, अगम तीर्थ जाए नाया हे, झूठा तीर...

ऐड़ा मिनख जग माहीं सन्तों

 कुकर  कपुर वासना तज   दे खर  मिश्री ना  खाई जी  ले पकवान सिंह आगे धरिया सिंह भोजन ना खाई हो,जी. ऐड़ा मिनख जग माहीं सन्तों ऐड़ा मिनख जग माहीं जी सांचा गुरु री संगत ना किदी भटकत जन्म गंवाई हो, जी. काली ऊन  सदा रंग काली  ले साबुन  ने धोई जी  ऊपरलो  रंग परो उतरे  अंग रंग कहां  जाई  हो,जी. ऐड़ा मिनख जग माहीं सन्तों ऐड़ा मिनख जग माहीं जी सांचा गुरु री संगत ना किदी भटकत जन्म गंवाई हो, जी. भागे  कांच रे सांधो नी  लागे कर  कीमत ने जोई जी  ले होर अग्नि पर धरिया मिलता ही उड़ जाई हो, जी.  ऐड़ा मिनख जग माहीं सन्तों ऐड़ा मिनख जग माहीं जी सांचा गुरु री संगत ना किदी भटकत जन्म गंवाई हो, जी. मणिधारी री गत वोही जाणे पलडोतियो ने गम नाई जी  कर कीमत बाजीगर पकड़ें पकड़त झपट लागाई हो जी ऐड़ा मिनख जग माहीं सन्तों ऐड़ा मिनख जग माहीं जी सांचा गुरु री संगत ना किदी भटकत जन्म गंवाई हो, जी. पियाराम  मलिया गुरू  पुरा वो  माने  राय बताई जी रामलाल गुण पंडित गावे विष अमृत ना होई हो,जी. ऐड़ा...

प्रणाम गुरूदेव जी ने बारम्वार

गुरू ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा:, गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:। परमेश्वर से गुरू बड़े तुम देखो वेद पुराण, सेक फरीदा यूं कहे गुरू घर हैं भगवान।  प्रणाम गुरूदेव जी ने बारम्वार, बारम्वार मेरी घणी घणी वार, प्रणाम गुरूदेव जी ने बारम्वार । _______________________________ एक पारी ब्रह्मा री रूप चतुधर, लीला     किनी रे     अपार, प्रणाम गुरूदेव जी ने  बारम्वार। _______________________________ ब्रह्मा रूप धर वेद प्रकट कर, रचियो    सकल      संसार, प्रणाम गुरूदेव जी ने बारम्वार। _______________________________ विष्णु रूप धर विश्व रो-  पालन धर्म  हेत अवतार, प्रणाम गुरूदेव जी ने  बारम्वार। _______________________________ रूद्र रूप धर दुष्ट रूलावन, पल    में   करत      संहार, प्रणाम गुरूदेव जी ने  बारम्वार। _______________________________ अचलुराम जिवा रे हित कारा गुरू   मुरती   लिया   धार  प्रणाम गुरूदेव जी ने  ब...

वारि जाऊं मन रे ऐड़ा कोई सन्त मिले

सरवर तरवर सन्तजन चौथा बरसे मेह, परमार्थ रे कारणे वे चारों धारी देह।  वारि जाऊ मन रे ऐड़ा  माने सन्त मिले  ज्योने देखिया नैण ठरे, वारि जाऊ मन रे ऐड़ा  माने सन्त मिले _______________________ निर्मल नैण वैण ज्योरा  निर्मल मन माहीं धीरब धरे  वारि जाऊ मन रे ऐड़ा  माने सन्त मिले। ज्योने देखिया नैण ठरे,  वारि जाऊ मन रे ऐड़ा  मने सन्त मिले। _______________________ सील संतोष दया मन राखे, जीवो पर दया वे करें,  वारि जाऊ मन रे ऐड़ा  माने सन्त मिले। ज्योने देखिया नैण ठरे, वारि जाऊ मन रे ऐड़ा,  माने सन्त मिले। _______________________ ज्ञान गुणा रा सतगुरु  बालद भर लावे, हीरलो रो चुण करें, वारि जाऊ मन रे ऐड़ा माने सन्त मिले। ज्योने देखिया नैण ठरे, वारि जाऊ मन रे ऐड़ा  माने सन्त मिले। _______________________ दोय करजोड़ माली लिखमो जी बोले भव सू पार करें, वारि जाऊ मन रे ऐड़ा, माने सन्त मिले । ज्योने देखिया नैण ठरे, वारि जाऊ मन रे ऐड़ा, माने सन्त मिले। _______________________ भावार्थ :  सन्त आंखो से निर्मल तो होते ही हैं सा...

राम रस पीवो कुंडाल भरी

दोहा: सत्संग घर-घर नहीं नहीं घर-घर गजराज, सिंह का टोला नहीं नहीं चंदन को बाग। सत्संग में जाविए तज माया अभिमान, ज्यों ज्यों कदम सामे धरे त्यो यज्ञ समान।  सन्तो राम रस पीवो कुंडाल भरी। कुंडाल भरी मोइने मेवा मिसरी   भायो हरि रस पीवो कुंडाल भरी।  ___________________________________ राम नाम री रे संगत रे भारी, लाल पेड़  ज्योरी डाल हरी,  सन्तो राम रस पीवो कुंडाल भरी। ___________________________________ सुरत नुरत  दोई गोटण  बैठी, गोटे गोटे ने किदी रजक जड़ी,  सन्तो राम रस पीवो कुंडाल भरी। ___________________________________ पांच पच्चीस मिल पीवण बैठा, पियाला भरे  हमें  घड़ी ने घड़ी,  सन्तो राम रस पीवो कुंडाल भरी। ___________________________________ पीवे स्वभागिया ढोले अभागिया, नुगरो  नहीं  मिले  पांव  रती,  सन्तो राम रस पीवो कुंडाल भरी। ___________________________________ कहत कबीर सूणो रे भाई संतो, धन्य  भाग ज्योरी काया सुधरी,  सन्तो राम रस पीवो कुंडाल भरी। ___________________________________ भजन स...

सतगुरु चरणे जाय हरि गुण गाणा भजन

 सतगुरु शरणे जाय हरि गुण  गाणा अवसर वितो जाय  देर नी करणा । _____________________________ नर नारायण री देह मुश्किल-  मिलणा सत को लेवो विचार  असत को हरणा । सतगुरु शरणे जाय हरि गुण  गाणा अवसर वितो जाय  देर नी करणा । _____________________________ तेरा धन जोबन परिवार अटे-  नी रेणा जातो नी लागे वार  साच सुण लेना । सतगुरु शरणे जाय हरि गुण  गाणा अवसर वितो जाय  देर नी करणा । _____________________________ अविनाशी अभिमान कभी- नी करणा जो करेला अभिमान  चौरासी में पड़ना । सतगुरु शरणे जाय हरि गुण  गाणा अवसर वितो जाय  देर नी करणा । _____________________________ उतरोला भव सू पार लेवो- गुरु चरणा सच केवे इशर राम  यूं भव सू तरणा । सतगुरु शरणे जाय हरि गुण  गाणा अवसर वितो जाय  देर नी करणा । _____________________________

हो होशियार सदा गुरू आगे दिल सामर्थ तो डरणा क्या

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 हो होशियार सदा गुरू आगे  दिल सामर्थ तो डरना क्या कण विन खेती धणिया सेती, रात दिवस बीच सोवणा क्या, आवे चिड़िया चुग जावे खेती , कण विन पुक लगावणा क्या । हो होशियार सदा गुरू आगे,  दिल सामर्थ तो डरना क्या । हता लोहा मैं वणिया कंचन, पला लगा मारे पारस रा, चेतन के घर पहरा लागे, जाग जाग नर सोवणा क्या । हो होशियार सदा गुरू आगे, दिल सामर्थ तो डरना क्या। नव सौ नदियों निनाणु नाला, सात समंद जल उंडा क्या,  सुखमण होद भरिया घर भीतर, नाडोलिया में नावणा क्या । हो होशियार सदा गुरू आगे, दिल सामर्थ तो डरना क्या । सच शब्दों रा दावा लागा, रंग ओलख तू पांचों रा, गुरु गम पोचा लिया हाथ में,  जीती बाजी हारे क्या । हो होशियार सदा गुरू आगे, दिल सामर्थ तो डरना क्या। बोले पंडा अलख री वाणी,  हरि देवे तो देवे ला, सतगुरु शरणे जालमगिरी बोले, धर्म कर्म में भुलणा क्या। हो होशियार सदा गुरू आगे, दिल सामर्थ तो डरणा क्या ।

लागे ओ माने राम पियारा रे

दोहा: मन की  हारे हार है मन की जीते जीत, इण मन ने समझ कर सांवरिया से प्रीत। प्रेम न वाड़ी निपजे प्रेम न हाठ बिकाय, जो प्रेमा हाठा बिके सिर साठे ले जाय। लागे ओ माने राम पियारा रे। प्रीत तजी संसार की,  मन हो गया न्यारा रे! लागे  ओ माने राम पियारा रे। _______________________________ सतगुरु शब्द सुणाविया  गुरू ज्ञान विचारा रे, भ्रम तिमर सब कोई भागे  होवे उजियारा रे ! लागे  ओ माने राम पियारा रे।  _______________________________ प्रीत तजी संसार की,  मन हो गया न्यारा रे! लागे ओ माने राम पियारा रे। _______________________________ मैं बंदा उस ब्रह्म का  ज्योरा वार नी पारा रे, ताई भजे कोई साधवा  जिने तन मन वारा रे! लागे ओ माने राम पियारा रे। _______________________________ प्रीत तजी संसार की,  मन हो गया न्यारा रे! लागे  ओ माने राम पियारा रे। _______________________________ चख चखने फल छोड़िया  माया रस खारा रे, राम अमि रस पिजिए  नित वारमवारा रे! लागे ओ माने राम पियारा रे। _______________________________ प्रीत तजी संसार की, ...