आज मारो भाग जागो भलो ऊगो भोण रे।



दोहा: 

सतगुरु आवत देखिया कांधे धरी बंदूक,
गोला छूटा ज्ञान रा भाग गया जमदूत।

सतगुरु में भगवान हैं ज्यो तिली में तेल,
ज्ञान की घाणी फेराय देख गुरू रो खेल।

"आज मारो भाग जागो"




आज मारो भाग जागो,

भलो ऊगो भोण रे,

सन्त आया पोमणा,

गुरूदेव आया पोमणा,

आंगणिये घमसोण रे,

आज मारो भाग जागो,

भलो ऊगो भोण रे 

___________________________________

सन्त आया आनन्द छाया,

कर दी तन री पोण रे,

ज्ञान गोला उडण लागा,

टूट गई कूल कोण रे,

आज मारो भाग जागो,

भले ऊगो भोण रे।

___________________________________

शब्द सुणिया भला वणिया, 

मेटिया सब उफोण रे,

भरम करम तीमर मेटिया, 

तीर मारयो तोण रे,

आज मारो भाग जागो,

भलो ऊगो भोण रे। 

___________________________________

चार पेड़ी शिखर मेड़ी, 

ज्योरी पड़ गई जोण रे,

जोत जाय शिखर दर्शे,

घट भया उजियारा रे,

आज मारो भाग जागो,

भलो ऊगो भोण रे।

___________________________________

नहीं आणा नहीं हैं जाणा, 

दिल बीच खुल गई खोण रे, 

गुरू शरणे सिमरथ बोले,

पद पायो निर्वोण रे आज मारो,

 भाग जागो भलो ऊगो भोण रे, 

सन्त आया पोमणा,

गुरूदेव आया पोमणा,

आंगणिये घमसोण रे।

आज मारो भाग जागो,

भलो ऊगो भोण रे । 

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