निर्धन रो धणी सांचों सावरों
निर्धन रो धणी सांचों सावरों निर्धन रो धणी गिरधारी ★★★ दुर्बल जात सुदामा कहिए पुछत है उनकी नारी हरि सरीका मींत तुम्हारा तोई नहीं गई दुबदा थारी निर्धन रो धणी सांचों सांवरो निर्धन रो धणी गिरधारी-२ ___________________________________ तिरिया जात अक्ल री ओछी क्या कुमति हुई मति थारी कर्मो में दालिदर लिखियो क्या करे मारो बनवारी निर्धन रो धणी सांचों सांवरो निर्धन रो धणी गिरधारी-२ ___________________________________ दो दो पेड़ कदम के तारे तार दीवी गौतम नारी विश्वामित्र रा यज्ञ सफल कर आप वणिया वटे अधिकारी निर्धन रो धणी सांचों सांवरो निर्धन रो धणी गिरधारी-२ ___________________________________ धर विश्वास राख्यो भरोसो सबको पूरे गिरधारी दास सुदामा राख्यो भरोसो कंचन महल होवे तैयारी निर्धन रो धणी सांचों सांवरो निर्धन रो धणी गिरधारी-२ ★★★★★ जब सुदामा भगवान कृष्ण से बिना मांगे ही अपनी नगरी को आ गये तब भगवान कृष्ण की कृपा से वहां भगवान विश्वकर्मा के द्वारा नगरी बनाई जा रही थी तब सुदामा यह देख आश्चर्य में पड...