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निर्धन रो धणी सांचों सावरों

निर्धन रो धणी सांचों सावरों निर्धन रो धणी गिरधारी  ★★★ दुर्बल जात सुदामा कहिए  पुछत है उनकी नारी हरि सरीका मींत तुम्हारा  तोई नहीं गई दुबदा थारी निर्धन रो धणी सांचों सांवरो निर्धन रो धणी गिरधारी-२  ___________________________________ तिरिया जात अक्ल री ओछी  क्या कुमति हुई मति थारी कर्मो में दालिदर लिखियो  क्या करे मारो बनवारी  निर्धन रो धणी सांचों सांवरो निर्धन रो धणी गिरधारी-२ ___________________________________ दो दो पेड़ कदम के तारे  तार दीवी गौतम नारी विश्वामित्र रा यज्ञ सफल कर  आप वणिया वटे अधिकारी निर्धन रो धणी सांचों सांवरो निर्धन रो धणी गिरधारी-२ ___________________________________   धर विश्वास राख्यो भरोसो  सबको पूरे  गिरधारी दास सुदामा राख्यो भरोसो  कंचन महल होवे तैयारी  निर्धन रो धणी सांचों सांवरो निर्धन रो धणी गिरधारी-२  ★★★★★   जब सुदामा भगवान कृष्ण से बिना मांगे ही अपनी नगरी को आ गये तब भगवान कृष्ण की कृपा से वहां भगवान विश्वकर्मा के द्वारा नगरी बनाई जा रही थी तब सुदामा यह देख आश्चर्य में पड...

थे मारे घर आवो नन्दलाला माखण मिश्री खावा ने

दोहा: प्रभाते  उठ प्राणी  जपले  हरि  रा  जाप। भूखा ने भोजन मिले गढ़ पतियों ने राज॥ प्रभाते  वहां जाविए  जहां बसे  ब्रजराज। गऊं रस भेटन हरि मिले एक पंथ दो काज॥ ★★★ थे मारे घर आवो नन्दलाला  माखण  मिश्री  खावा  ने ___________________________ ऊंची मेड़ी लाल किवाड़ी  फूलड़ो री सेज बिछावा ने मारी गलियां रंग री रलिया  और  गली  नहीं  जाना ने थे मारे घर आवो नन्दलाला  माखण   मिश्री   खावा  ने  ___________________________ साथिड़ा ने संग मत लाइजो  नहीं है  माखन  खिलावा ने  एक अंथणी कोरी राखु  थाने  भोग  लगावा  ने थे मारे घर आवो नन्दलाला  माखण  मिश्री  खावा  ने  ___________________________ मैं जावा जल जमुना पाणी  थे आइजो धेनु चरावण ने तन मन री वातो रे करोला  मती  केजो  थोरी मावड़ ने थे मारे घर आवो नन्दलाला  माखण  मिश्री  खावा  ने ___________________________ जल जमुना री इरा तीर...

सांवरियो गिरधारी रे/ प्रभाती भजन

सांवरियो गिरधारी रे ॥टेर॥ आप बिना मोरी कोन खबर ले । मंझारी सुत दिया अग्न में,करुणा करे कुमारी रे । चार बरतन प्रभु कोरा राखिया,खेलत सुत मनजारी रे ॥ आप बिना मोरी कोन खबर ले, सावरियो गिरधारी रे ॥टेर॥ गज और ग्राह लड़े जल भीतर लड़त-लड़त गज हारी रे। तिल भर सुंड रही जल बाहर रामो राम पुकारी रे ॥ आप बिना मारी कौन खबर ले, सांवरियो गिरधारी रे॥टेर॥ टीयू-२ करती आई टीतोडी, भारत रचियो भारी । भारत में भंवरी रा इंडा ,सिर पर घंटा डारी ॥ आप बिना मोरी कोन खबर ले, सावरियो गिरधारी रे ॥टेर॥ द्रोपदी चीर दुशासन खेचयो,पांच पांडव घर नारी रेे । खेचत चीर असंगज बढ़ियो,लाज राखी बनवारी रे ॥ आप बिना मोरी कोन खबर ले, सावरियो गिरधारी रे ॥टेर॥ इन्द्र कोप कियो ब्रज उपर, बरसीयो मूसलधारी। गोपी ग्वालों ने तार दिया प्रभु,नख पर गिरवर धारी॥ आप बिना मोरी कोन खबर ले, सावरियो गिरधारी रे ॥टेर॥ आगे भक्त अनेक ऊबारिया अब के बेल हमारी रे । कहे नरसी सुणो सांवरा राखो लाज हमारी रे ॥ आप बिना मारी कौन खबर ले, सांवरियो गिरधारी रे ॥टेर॥  भावार्थ :  नरसी भक्त उस वक्त भगवान से कहते हैं हे सांवरे तेरे ही भरोसे मैंने अपना सब कुछ लुटा दिय...