निर्धन रो धणी सांचों सावरों



निर्धन रो धणी सांचों सावरों

निर्धन रो धणी गिरधारी 

★★★

दुर्बल जात सुदामा कहिए 

पुछत है उनकी नारी

हरि सरीका मींत तुम्हारा 

तोई नहीं गई दुबदा थारी

निर्धन रो धणी सांचों सांवरो

निर्धन रो धणी गिरधारी-२

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तिरिया जात अक्ल री ओछी 

क्या कुमति हुई मति थारी

कर्मो में दालिदर लिखियो 

क्या करे मारो बनवारी 

निर्धन रो धणी सांचों सांवरो

निर्धन रो धणी गिरधारी-२

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दो दो पेड़ कदम के तारे 

तार दीवी गौतम नारी

विश्वामित्र रा यज्ञ सफल कर 

आप वणिया वटे अधिकारी

निर्धन रो धणी सांचों सांवरो

निर्धन रो धणी गिरधारी-२

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धर विश्वास राख्यो भरोसो 

सबको पूरे  गिरधारी

दास सुदामा राख्यो भरोसो 

कंचन महल होवे तैयारी 

निर्धन रो धणी सांचों सांवरो

निर्धन रो धणी गिरधारी-२

 ★★★★★

 





जब सुदामा भगवान कृष्ण से बिना मांगे ही अपनी नगरी को आ गये तब भगवान कृष्ण की कृपा से वहां भगवान विश्वकर्मा के द्वारा नगरी बनाई जा रही थी तब सुदामा यह देख आश्चर्य में पड़ गये और अपने बच्चों के बारे में सोचने लगे.. हांक बाक हो गये दिल में डर सा बैठ गया,

दुसरी प्रभाति यह हैं।

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 देवल देख डरे सुदामा मंदिर देख डरे हो डरे

देवल देख डरे सुदामा ॥


यहां होती मेरी राम झूपड़िया

कोई एक नृपत आए उतरे।

ताल पखाड़त मृदंग बाजे 

नटवा नृत्य करे हो करे॥

मंदिर देख डरे सुदामा 

देवल देख डरे हो डरे 

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पेली पोल में हस्ती डोले

दूजा माई तुरंग खड़े।

तीजी पोल विश्वकर्मा ऊबा

हीरा रत्न जड़े हो जड़े॥

मंदिर देख डरे सुदामा

देवल देख डरे हो डरे

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इधर उधर कोई बोले पांड्या

काई रो होच करे हो करे।

महलों ऊबी अरज गुजारे

आवो कंथ घरे हो गये॥

मंदिर देख डरे सुदामा

देवल देख डरे हो डरे

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तीन लोक और चौदह भुवन में 

दीनानाथ दया करें।

दास सुदामा राख्यो भरोसो 

मंत्री मेहर करें हो करे॥

देवल देख डरे सुदामा

मंदिर देख डरे हो डरे

★★★★★








 

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