चेतन हाल मेरा भाई
दोहा:
सन्त सगा सत्संग सगा तीजा सगा हैं राम,
तुलसी इण जीव वे तीन ठौड़ ही विश्राम।
आवत ही हस मिले चरण निवावे शिष,
तुलसी उण जीव री मुक्ति विश्वाविस।
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चेतन हाल मेरा भाई
चेतन हालो पार उतरणा,
इण भवसागरियां माही,
हंसला चेतन हाल मेरा भाई।
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काया नगरी थारी केवड़ो है,
हंसा झुक झुक झोला खाई,
एक दिन आंधी आवसी भाई,
जड़ों समेत ले जाई रे हंसला,
चेतन हालो मेरा भाई।
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पांच मर्ग पच्चीस मिरगलिया,
हलिया वन खण्ड माई,
उण वन माहीं खेत हमारो,
मृगों चर चर जाई रे हंसला,
चेतन हालो मेरा भाई।
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वाड़ी माली थारी खूब बणी है,
पाणिड़ो सींचे मेरा भाई,
एक दिन वाड़ी थारी लुटसी,
आंख फरूके माहीं रे हंसला,
चेतन हालो मेरा भाई।
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काया तेरी बंदा काची बणी है,
पाप बांध मत जाई,
एक दिन यमराज आवसी,
बांह पकड़ ले जाई रे हंसला,
चेतन हालो मेरा भाई।
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आगे आगे मालदे तरिया,
लारे रूपादे माई रे,
गुरू उगमजी पुरा मिलाया,
आवागमन मिट जाई हंसला,
चेतन हालो मेरा भाई।
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