चेतन हाल मेरा भाई


दोहा:

सन्त सगा सत्संग सगा तीजा सगा हैं राम,
तुलसी इण जीव वे तीन ठौड़ ही विश्राम।

आवत ही हस मिले चरण निवावे शिष,
तुलसी उण जीव री मुक्ति विश्वाविस।
★★★







 चेतन हाल मेरा भाई 

चेतन हालो पार उतरणा, 

इण भवसागरियां माही, 

हंसला चेतन हाल मेरा भाई। 

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काया नगरी थारी केवड़ो है, 

हंसा झुक झुक झोला खाई, 

एक दिन आंधी आवसी भाई, 

जड़ों समेत ले जाई रे हंसला, 

चेतन हालो मेरा भाई। 

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पांच मर्ग पच्चीस मिरगलिया, 

हलिया वन खण्ड माई,

उण वन माहीं खेत हमारो, 

मृगों चर चर जाई रे हंसला, 

चेतन हालो मेरा भाई। 

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वाड़ी माली थारी खूब बणी है, 

पाणिड़ो सींचे मेरा भाई,

एक दिन वाड़ी थारी लुटसी, 

आंख फरूके माहीं रे हंसला, 

चेतन हालो मेरा भाई। 

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काया तेरी बंदा काची बणी है,

पाप बांध मत जाई, 

एक दिन यमराज आवसी,

बांह पकड़ ले जाई रे हंसला, 

चेतन हालो मेरा भाई। 

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आगे आगे मालदे तरिया, 

लारे रूपादे माई रे, 

गुरू उगमजी पुरा मिलाया, 

आवागमन मिट जाई हंसला, 

चेतन हालो मेरा भाई।

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चेतन हालो पार उतरणा, 

इण भवसागरियां माही, 

हंसला चेतन हाल मेरा भाई। 

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