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Showing posts with the label हेली भजन

मैं तो पुरबियो पूर्व देश

भजो तो भजो भगवान ने तजो तो अभिमान, करो तो सेवा बंदगी देवो तो देवो कुछ जान। किण भजियो भगवान ने किण तजियो अभिमान, किण नर कीनी सेवा बंदगी किण नर दीनो दान। ध्रूव भजियो भगवान ने प्रहलाद तजियो अभिमान, श्रवण कीनी सेवा बंदगी राजा मोरध्वज दीनो दान।  ★★★★★ ‌मैं तो पुरबियों पुर्व देश ने मारी- हेली बोली लिखेना कोय हेली, जे मारी बोली लिखे मारी-  हेली भाग पुरबला होय हेली। _______________________________________ मारी मण्डली में साधु न मिल्यो मारी-  हेली किण संग करु मैं स्नेह हेली, मैं तो पुरबियों पुर्व देश ने मारी-  हेली बोली लिखे ना कोय हेली। _______________________________________ साध हुवा तो क्या हुआ मारी- हेली हुदस फूली नहीं वास हेली, भीतर बीज कपट भरियो मारी-  हेली नहीं उगण री आस हेली, मैं तो पुरबियों पुर्व देश ने मारी-  हेली बोली लखेना कोय हेली। _______________________________________ मारी मण्डली में साधु न मिल्यो मारी-  हेली किण संग करु मैं स्नेह हेली, मैं तो पुरबियों पुर्व देश ने मारी-  हेली बोली लिखे ना कोय हेली। ____________________________________...

दुनियादारी औगणकारी ज्याने भेद

सन्त सगा सत्संग सगा तीजा सगा राम, तुलसी इण जीव ने तीन ठौड़ विश्राम। दुनियादारी ओगण कारी, जाने  भेद मत  दईजे रे, हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे। _____________________________ इण काया में अष्ट कमल हैं,  ज्योरी निंगे कराइजे ए हेली  म्हारी निर्भय रहीजे रे। _____________________________ जाय संगत में बैठ सुहागण, साच कमाइजे ए हेली,  म्हारी निर्भय रहीजे रे। _____________________________ धन में गरीबी मन में फकीरी, दया भावना राखिजे रे हेली, हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे। _____________________________ ज्ञान झरोखे बैठ सुहागण, झालो दईजे ए हेली  म्हारी निर्भय रहीजे। _____________________________ त्रिवेणी घर तीन पदमणी, उने जाए बतालाईजे रे, हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे _____________________________ सत बाण पर बैठ सुहागण, सीधी आईजे ए हेली, म्हारी निर्भय रहीजे रे। _____________________________ हरी चरणों में शीश झुकाईजे, गुरु वचनों में रहीजे ए हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे। _____________________________ कहत कबीर सुणों भाई  साधु शीतल होइजे ए हेली,  म्हारी निर्भय रहीजे रे। _...

अब कैसे होवे जग में जिवणों मारी हेली

 अब कैसे होवे जग में जिवणो ! म्हारी हेली-२ ॥टेर॥ लागा शब्द रा बाण हेली, लागा विरह रा तीर-२॥ घर गया कामण लड़े म्हारी हेली, भाई गिणे नहीं वीर हेली-२। ज्या रा मुरसद घरे नहीं म्हारी हेली,  नैणा बरसे नीर हेली-२॥ अब कैसे होवे जग में जिवणो! म्हारी हेली-२ ॥टेर॥ लागा शब्द रा बाण हेली, लागा विरह रा तीर-२॥ कर जोडया कामण खड़ी म्हारी हेली-२, ओढण बहुरंग चीर हेली-२। सतगुरु मिलिया म्हाने सागडी़ म्हारी हेली-२,  आछी बंधाई धीर हेली-२॥ अब कैसे होवे जग में जिवणो! म्हारी हेली-२ ॥टेर॥ लागा शब्द रा बाण हेली, लागा विरह रा तीर-२ । केडी़ बादलिया री छायली म्हारी हेली-२, काई नुगरा री प्रीत हेली-२। कोई नाडोल्या में नावणो म्हारी हेली-२, पडीय़ो समद में सीर हेली-२‌॥ अब कैसे होवे जग में जिवणो ! म्हारी हेली-२ ॥टेर॥ लागा शब्द रा बाण हेली, लागा विरह रा तीर-२॥ हर दरियाव अथंग जल भरियो हेली-२ हंसा चुगे नित हीर हेली-२। शब्द भलाउ संग ले चलो म्हारी हेली-२, कह गए दास कबीर हेली ॥ अब कैसे होवे जग में जिवणो! म्हारी हेली-२ ॥टेर॥ लागा शब्द रा बाण हेली, लागा विरह रा तीर हेली-२॥

संगत करो निर्मल संत री हेली/ हेली भजन लिरिक्स ।

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 संगत करो निर्मल संत री मारी हेली-२॥टेर॥ आवागमन मिट जाय,जन्म मरण टल जाय ॥ चनण ऊबो हरिया बाग में मारी हेली-२ खुशी भई वनराय हेली-२, आप तिरे अवरो ने तारसी मारी हेली-२, सुगंध घणी घट माय हेली-२॥ संगत करो निर्मल संत री मारी हेली-२॥टेर॥ आवा गमन मिट जाय हेली-२॥ बांस ऊबा डर डुंगरे मारी हेली-२, कांपण लागी वनराय हेली-२। आप बले अवरो ने बालसी मारी हेली-२, कपट गांठ घट माय हेली-२॥ संगत करो निर्मल संत री मारी हेली-२॥टेर॥ आवा गमन मिट जाय हेली-२॥ डव लागी डर डुंगरे मारी हेली-२, मिल गई जालों जाल हेली-२। ओर पंखेरू सब उड़ गया मारी हेली-२, हंसला बैठा आय हेली-२॥ संगत करो निर्मल संत री मारी हेली-२॥टेर॥ आवा गमन मिट जाय हेली-२॥ चनण मुख से बोलियां मारी हेली-२, थे क्यों जलो हंसराय हेली-२। मैं तो जलो बिन पाखडे़ मारी हेली-२, जड़ हैं पियालो माय हेली-२॥ संगत करो निर्मल संत री मारी हेली-२॥टेर॥ आवा गमन मिट जाय हेली-२॥ फल खाया पता तोडि़या मारी हेली-२ रमिया डालो डाल हेली-२। थे जलो ने मैं क्यों ऊबरो मारी हेली-२, जिवणो कितरा काल हेली-२॥ संगत करो निर्मल संत री मारी हेली-२॥टेर॥ आवा गमन मिट जाय हेली-२॥ चनण हंसा रो प्रे...