संगत करो निर्मल संत री हेली/ हेली भजन लिरिक्स ।
संगत करो निर्मल संत री मारी हेली-२॥टेर॥
आवागमन मिट जाय,जन्म मरण टल जाय ॥
चनण ऊबो हरिया बाग में मारी हेली-२
खुशी भई वनराय हेली-२,
आप तिरे अवरो ने तारसी मारी हेली-२,
सुगंध घणी घट माय हेली-२॥
संगत करो निर्मल संत री मारी हेली-२॥टेर॥
आवा गमन मिट जाय हेली-२॥
बांस ऊबा डर डुंगरे मारी हेली-२,
कांपण लागी वनराय हेली-२।
आप बले अवरो ने बालसी मारी हेली-२,
कपट गांठ घट माय हेली-२॥
संगत करो निर्मल संत री मारी हेली-२॥टेर॥
आवा गमन मिट जाय हेली-२॥
डव लागी डर डुंगरे मारी हेली-२,
मिल गई जालों जाल हेली-२।
ओर पंखेरू सब उड़ गया मारी हेली-२,
हंसला बैठा आय हेली-२॥
संगत करो निर्मल संत री मारी हेली-२॥टेर॥
आवा गमन मिट जाय हेली-२॥
चनण मुख से बोलियां मारी हेली-२,
थे क्यों जलो हंसराय हेली-२।
मैं तो जलो बिन पाखडे़ मारी हेली-२,
जड़ हैं पियालो माय हेली-२॥
संगत करो निर्मल संत री मारी हेली-२॥टेर॥
आवा गमन मिट जाय हेली-२॥
फल खाया पता तोडि़या मारी हेली-२
रमिया डालो डाल हेली-२।
थे जलो ने मैं क्यों ऊबरो मारी हेली-२,
जिवणो कितरा काल हेली-२॥
संगत करो निर्मल संत री मारी हेली-२॥टेर॥
आवा गमन मिट जाय हेली-२॥
चनण हंसा रो प्रेम देख ने मारी हेली-२,
दूदा बरसे मेष हेली-२।
केवे कबीरो धर्मीदास ने मारी हेली-२,
नित नित नवला नेष हेली-२॥
संगत करो निर्मल संत री मारी हेली-२॥टेर॥
आवा गमन मिट जाय हेली-२!
जन्म मरण टल जाय ॥
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