सिमरू देवी शारदा गुणपत(धारू मेघ)भजन
सिमरू देवी शारदा गुणपत लागू पाय रे ।
सुंडाला ने सिमरिया भूला आखर बताय रे ॥
धूप है महाराज थोने,धूप है गुरू देव ने,
आरती अवतार ने,वंखला हङमान ने !
माई रे हींगलाज ने,
खेवू गुंगर धूप हरि ने हे हा ।
आंगणिये रल आवणो मन्दिरये परियाण हे।
मंदरिया में ज्योत जागे,संतो रे मुख नूर हे॥
कौन देवी रो गागरो कौन देवी रो सिर हे।
कौन देवी रो कंछवो कौन ज्यारा वीर हे॥
धरण देवी रो गागरो असमान देवी रो सीर हे।
तारा मंडल कन्छवो चांद सूरज वीर हे॥
एक डोरी राम री दूजी हरि रे नाम री ।
तीजी डोरी संतो री ले चढ़ो निरवाण हे॥
हालो संतो खेती वावा मोनखे रे बीज हे।
खेत माही हीरा निपजे वे नर होशियार हे॥
धरा अंबर वेलङी राखजो विश्वास हे।
रक धारू बोलिया माला रे परियोण हे॥
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