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अब तो दीदार दिखा दे मैं तेरा हो चुका हूं

 अब तो दीदार दिखा दे,  मैं तेरा हो चुका हूं। तेरे इश्क में प्यारे, बदनाम हो चुका हूं। नाम लिया जब तेरा, दुनिया सु मुखड़ा फेरा‌। मैंने हरदम तुझको हेरा, हैरान हो चुका हूं। अब तो दीदार दिखा दे, मैं तेरा हो चुका हूं। मैंने पहना फकीरी बाना, मुझे दूनिया देती ताना। ताने से क्या शर्माना, दिवाना हो चुका हूं। अब तो दीदार दिखा दे, मैं तेरा हो चुका हूं। मोहे तेरी याद सतावे,  दिन रात निंद नहीं आवे। अन जल कछू नी भावे,  बीमार हो चुका हूं। अब तो दीदार दिखा दे, मैं तेरा हो चुका हूं। आया हूं तेरे दर पे, जाऊंगा दीदार करके। अचलुराम हटेगा मरके  परेशान हो चुका हूं। अब तो दीदार दिखा दे, मैं तेरा हो चुका हूं।

साधु भाई सतगुरु साक भरेलो

 दोहा: हंसा सरवर ना छोड़िये जो जल खारा होय, सीलर सीलर भटकता  भला नी केवे कोय। हंसा ज्यों सरवर जपे वन में जपे मोर,  थो मन में ऐसे जपो जैसे छंद चिकोर। ★★ हड़दम ताल लगी गढ़ भीतर,  नाभि से निगे करेलों,  उल्टा बाण गिगन जाय लागा,  झिल मिल जोग जगेलो! साधु- भाई सतगुरु साक भरेलो। _______________________________ सिमरिया वे सन्त पार पोचिया,  विन सिमरिया डूबेलो! साधु-  भाई सतगुरु साक भरेलो। _______________________________ उपजिया अंणद गिगन जाय गर- जिया अणहद नाद घुरेलो, पीवत प्रेम विछड़ जाई काया,  जीव पीव मिल रेलो! साधु-  भाई सतगुरु पार करेलो । _______________________________ सिमरिया वे सन्त पार पोचिया,  विन सिमरिया डूबेलो! साधु-  भाई सतगुरु साक भरेलो। _______________________________ त्रिवेणी जाय हंस विराजे,  हीरो रो सर्वण चुगे लो, मिट गई तास प्रेम सुख उपजे, जुग जुग राज करेलो! साधु-  भाई सतगुरु पार करेलो। _______________________________ सिमरिया वे सन्त पार पोचिया,  विन सिमरिया डूबेलो! साधु-  भाई सतगुरु साक भरेलो। ...