जै जै बोलो हनुमान विड़द वंका/ भजन
राम नगरिया राम की बसे गंग की तीर,
अटल हुई महाराज नी चौकी हनुमंत वीर।
विड़द बंका हनुमत तोड़ी लंका,
जै जै बोलो हनुमान विड़द वंका,
सिमरू हनुमान विड़द वंका.. हां
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कुण थोरी माता कुण थोरा पिता,
कुण जी नाम देरायो हनुमान,
जै जै बोलो हनुमान विड़द वंका,
सिमरूं रे हनुमान विड़द वंका।
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अंजनी हैं माता पवन म्हारो पिता,
ब्रह्मा म्हारो नाम दिरायो हनुमान,
जै जै बोलो हनुमान विड़द वंका,
सिमरूं रे हनुमान विड़द वंका।
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किण रे कारण बाग उजाड़ियो रे,
किण री आज्ञा सू जलाई लंका,
जै जै बोलो हनुमान विड़द वंका,
सिमरूं रे हनुमान विड़द वंका।
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सीता जी रे कारण बाग उजाड़ियो,
रामजी री आज्ञा सू जलाई लंका,
जै जै बोलो हनुमान विड़द वंका,
सिमरूं रे हनुमान विड़द वंका।
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