गोविन्द रा गुण गाय बन्दा उमर जावे

 दोहा :
सोने री लंका बनी और सोने रा घर बार,
रति सोनो ना मलियो रावण मरती वार।

हंस हंस ने बोलता दिन में सो सो वार,
वे मानुष कठे गया सुरता करो विचार।
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गोविंद रा गुण गाय बन्दा रे,

मालिक रा गुण गांव बन्दा रे,

उमरिया जावे जावे से भाई जावे।

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जावे से जावे उमरिया,

 पासी कोनी आवे! थोड़ा

मालिक रा गुण गांव बन्दा रे,

गोविंद रा गुण गांव बन्दा रे,

उमरिया जावे जावे से भाई जावे।

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गर्भवास में कोल किया था,

बाहर आए हरि नाम ना लिया,

 था! भूल गयो भगवान बन्दा रे,

उमरिया जावे जावे से भाई जावे।

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बालपणो हद खेल गंवायो, 

यौवन में माया विलमायो,

करियो नी सुकरत काम बन्दा रे,

उमरिया जावे जावे से भाई जावे।

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आगे बुढ़ापो आवेला भारी,

ताना देवेला दुनिया सारी,

भूंडी करी भगवान बन्दा रे,

उमरिया जावे जावे से भाई जावे।

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रामानंद गुरू दे रया हेला,

सुण ले दास कबीर तू चेला,

भजो हरि वाला नाम बन्दा रे,

उमरिया जावे जावे से भाई जावे।

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जावे से जावे उमरिया,

 पासी कोनी आवे! थोड़ा

मालिक रा गुण गांव बन्दा रे,

गोविंद रा गुण गांव बन्दा रे,

उमरिया जावे जावे से भाई जावे।

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