कारीगर क्यों थु भटके रे
दोहा: सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप, जिनके ह्रदय साच तिनके ह्रदय हरि आप। काम करो ओदर भरो मुख से सिवरो राम, ऐड़ा सोदा नी मिले करोड़ खर्च लो दाम। ★★★ कारीगर क्यों थु भटके रे, कर मालिक ने याद काम, थारो कदे नी अटके रे। कारीगर पथर घड़यो, पथर में पायो छेद, छेद माहिने जीव जीवतो, नही जीवण री उम्मीद, मुंह में दाणों लटके रे, कर मालिक ने याद काम- थारो कदे नी अटके रे, कारीगर क्यों थु भटके रे। _____________________________ कारीगर करतार ने, रे करने लाग्यो याद, दौड़ बुढापो आवियो रे, दौड़ बुढ़ापे आवसी रे, कदे नहीं किंयो याद- भरोसो बैठो लटके रे, कर मालिक ने याद काम- थारो कदे नी अटके रे, कारीगर क्यो थु भटके रे। _____________________________ जंगल में मंगल भया, चरू मिल्या दो चार, भगत केवे भगवान ने रे, बाध हीरा री पोट-- घरे म्हारे क्यूं नहीं पटके रे, कर मालिक ने याद काम- थारो कदे नी अटके रे, कारीगर क्यो थु भटके रे। _____________________________ चोरो ने चर्चा सुणी रे, दीना ढकण उगाड़, कर्म हीन कैसे पावे धन का हो गया साप, बात चोरां ने खटके ...