जगत में संतो री गत हैं न्यारी
क्रम गति बलवान जगत में क्या से क्या हो जाता है,
निर्धन हो धनवान पति जद निर्धन ही बन जाता है,
हरिचंद देखो बना भिखारी राजपाठ छिटकाता है,
पुत्र राणी को बेच दिया भरिया नीच घर पाणी,
भरिया नीच घर पाणी समय ही चक्र चलाता है,
क्रम गति बलवान जगत में क्या से क्या हो जाता है।
जगत में संतो री गत न्यारी,
जप तब नेम व्रत और पूजा,
प्रेम सभी से भारी जगत में,
सन्तों री गति न्यारी।
जाती वर्ण हरि राजी वे तो
गणिका ने क्यों तारी,
सबरी जात भिलणी कहिजे,
नीच कुटिल कुल नारी जग,
में सन्तों री गति न्यारी।
जात जलावो नाम कबीरो,
सब भाया करी कलाली,
वण वणजारो बालद ले आयो
आया आप मुरारी जगत में,
सन्तों री गति न्यारी।
धना भगत ओर कालु,
सेनो नामो नाम होदारी,
कर्मा जाटणी मीरा बाई,
कई हो गया भव से पारी
जग में सन्तों री गति न्यारी।
पासो पांडवो यज्ञ रचायो,
सब मिल करी तैयारी,
वाल्मीकि विन काज न सरियो,
बाजियों नी शंख सुरारी जगत,
में सन्तों री गति न्यारी।
वेद पुराण भागवत गीता,
सब मिल आई पुकारी,
केह सुखदेव सुणो गुरू,
दाता किना काज मुरारी
जग में सन्तों री गति न्यारी
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जप तब नेम व्रत और पूजा,
प्रेम सभी से भारी जगत में,
सन्तों री गति न्यारी।
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