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सोरठ भजन वाणी

दोहा : रागा पति सोरठा और बाजा पति बीन, देशा पति मालवों शहरा पति उज्जैन। सोरठ जब ही छेड़िये जब सोपो पड़ जाय, ज्ञानी सो उठ ने सुणे मुर्ख नींद गुरा  क्या मैं जाणु किस विध,  राखे मारो राम ! हरिया डाल पर पंछी बैठा, धर रया रघु जी रो ध्योन, मैं क्या जाणु किस, विध राखे मारो राम । नीचों भालु तो पापी,  पारसी बैठो! उपर, भले हैं शिकोल रे,   क्या रे जाणु किस,  विध राखे मारो राम। पापी पारसी ने सर्प,  बस्तियों! शिकरा रे लागो हैं बाण हे  क्या मैं जाणु किण,  विध राखे राम। केवे बाई मीरा, सांवरा गिरधर रा गुण,  पछिड़ा रे भयो आरोम। क्या मैं जाणु किस  विध राखे मारो राम ।