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जै जै बोलो हनुमान विड़द वंका/ भजन

राम नगरिया राम की बसे गंग की तीर, अटल हुई महाराज नी चौकी हनुमंत वीर। विड़द बंका हनुमत तोड़ी लंका, जै जै बोलो हनुमान विड़द वंका, सिमरू हनुमान विड़द वंका.. हां _______________________________ कुण थोरी माता कुण थोरा पिता, कुण जी नाम देरायो हनुमान, जै जै बोलो हनुमान विड़द वंका, सिमरूं रे हनुमान विड़द वंका। _______________________________ अंजनी हैं माता पवन म्हारो पिता, ब्रह्मा म्हारो नाम दिरायो हनुमान, जै जै बोलो हनुमान विड़द वंका, सिमरूं रे हनुमान विड़द वंका। _______________________________ किण रे कारण बाग उजाड़ियो रे, किण री आज्ञा सू जलाई लंका, जै जै बोलो हनुमान विड़द वंका, सिमरूं रे हनुमान विड़द वंका। _______________________________ सीता जी रे कारण बाग उजाड़ियो, रामजी री आज्ञा सू जलाई लंका, जै जै बोलो हनुमान विड़द वंका, सिमरूं रे हनुमान विड़द वंका। _______________________________ तुलसीदास प्रभु आस रघुवर री, गढ़ लंका ऊपर धरिया डंका, जै जै बोलो हनुमान विड़द वंका, सिमरूं रे हनुमान विड़द वंका।

सीता जी ने मिलवा मंडोवर आई

सीता जी ने मिलवा मंडोवर राणी आई। मंडोवर राणी आई रे,  राजा री राणी आई, सीता जी ने मिलवा मंडोवर राणी आई। ___________________________________ सीया मिलन मंडोवर आई, संग में सहेलियां लाई, तारा वाली ओढ़ चुनरी, रमझम करती वागो रे माई आई, सीता जी ने मिलवा मंडोवर राणी आई। ___________________________________ किया राजा री पुत्री कहिजो, किया घरो परणाई, कावण थारो नाम कहिजे, मारे पिया रे लारे किण विध आई, सीता जी ने मिलवा मंडोवर राणी आई। ___________________________________ राजा जनक री पुत्री कहिजु, दशरथ घर परणाई, सीता मारो नाम कहिजे, थने रंडापो मु देवण आई, सीता जी ने मिलवा मंडोवर राणी आई। ___________________________________ इतरी बात सुणी मंडोवर, सीधा महल में आई, तुलसीदास भजो भगवाना, पासी पोछावो पिया नार पराई, सीता जी ने मिलवा मंडोवर राणी आई।

सियाराम का डंका लंका में/रामायण भजन

 सियाराम का डंका लंका में  बजवा दिया बजरंग बाला ने ।                       बजवा दिया बजरंग बाला ने  वो अंजनी मां के लाला ने-२  सियाराम का डंका लंका में  बजवा दिया बजरंग बाला ने । सुती मंडोवर सपनों आयो,  सपनों विश्ववा विष जी ! हो..जी.. कुदत देखिया रीछ वानरा, कटता देखिया शिष । हो..जी.. सियाराम का डंका लंका में, बजवा दिया बजरंग बाला ने । केवे मंडोवर सुण मारा पियाजी,  आ कोई कुमति कमाई ! हो..जी.. तीन लोक री माता हैं जानकी, वाने क्यूं हर लाई हो..जी.. सियाराम का डंका लंका में, बजवा दिया बजरंग बाला ने । तिरिया जात अकल री ओछी, उण री करें बढ़ाई हो..जी.. पंचवटी से पकड़ मंगवा दूं , राम लखन दो भाई हो..जी.. सियाराम का डंका लंका में, बजवा दिया बजरंग बाला ने । मेघनाथ से पुत्र हमारे, कुंभ करण बल भाई रे । लंका जेड़ा कोट हमारे, सातों समुद्र री खाई हो..जी.. सियाराम का डंका लंका में, बजवा दिया बजरंग बाला ने । हनुमत जेड़ा पायक उनके, लक्ष्मण हैं बल भाई हो..जी.. जलती अग्नि में कुद पड़े वे, खोट गिणे ना खाई हो..जी.. सियार...

कारण कौन नाथ मोहे मारा/ रामायण भजन

कारण कौन नाथ मोहे मारा रे, कारण कौन । टेर :               नाथ मोहे मारा श्री राम मोहे मारा-२  कारण कौन । मैं बैरी सुग्रीव हैं प्यारा  कौन कारण मोहे मारा सिंह मार वन खाली किना  गीदड़ रा कोई थे लिना रे सहारा । कारण कौन ‌नाथ मोहे मारा, कारण कौन । थने मारियो पाप नी लागे  तू राजा हत्यारा छोटे भाई री नार चुराई  कुण देखें बालि मुख तुम्हारा ‌ कारण कौन नाथ मोहे मारा क्षत्रिय वंश में ये धर्म नहीं  बाण दगा कर मारा सनमुख होय करता लड़ाई जोय लेतो रामा जोर तुम्हारा  कारण कौन नाथ मोहे मारा जिवे तो और जिवा दूं  करले राज दुलारा मन में खोट कपट से बालि  चले नहीं जुग संसारा  कारण कौन नाथ मोहे मारा तुलसीदास भजो भगवाना  हरि चरणे बलिहारा गढ़ लंका जीतन जाओ संग राखोला पुत्र अंगद हमारा  कारण कौन नाथ मोहे मारा  टेर :            नाथ मोहे मारा श्री राम मोहे मारा-२  कारण कौन नाथ मोहे मारा कारण कौन ।  भावार्थ: (वानरराज बाली से जो भी युद्ध करने जाता था तुरंत आधी शक्ति बा...

धन्य सुग्रीव मिलिया रघुराई रे/ रामायण भजन

 धन्य सुग्रीव मिलिया रघुराई रे ! धन सुग्रीव । मिलिया रघुराई रे मिलिया दोनों भाई रे-२ ॥टेर॥ धन्य सुग्रीव । धन्य सुग्रीव मिलिया रघुराई मन री बात बताई, आप मिलिया भली होवेला हां/हां/हे.. मारी राणी भाई बालि ने चुराई रे-२  धन्य सुग्रीव मिलिया रघुराई रे ! धन्य सुग्रीव । तु दु:खिया मैं भी दुःखिया दुःख री बात चलाई थारी राणी कैसे दिलाऊं हां/हां/हे.. मारी राणी राजा रावण चुराई रे-२ धन्य सुग्रीव मिलिया रघुराई रे ! धन्य सुग्रीव । हाथ जोड़ चरणा में पडि़यो दया राम ने आई पहले इणरी नार देरावो हां/हां/हे.. पछे करोला गढ़ लंका पर चढ़ाई रे-२  धन्य सुग्रीव मिलिया रघुराई रे ! धन्य सुग्रीव । तुलसीदास भजो भगवाना ऐसी भीड़ कराई वो बैरी मने मालण लागों हां/हां/हे.. ऊबो-२ देखें थोरो नेनको भाई रे-२ धन्य सुग्रीव मिलिया रघुराई रे ! धन्य सुग्रीव । मिलिया रघुराई रे मिलिया दोनों भाई रे-२ ॥टेर॥ धन्य सुग्रीव मिलिया रघुराई रे ! धन्य सुग्रीव ।

मीठा लागे भिलणी रा बोर/ रामायण भजन

मारा लक्ष्मण भाई मीठा लागे भिलणी रा बोर-२ प्यारा लागे सबरी रा बोर, ॥टेर॥ मारा लक्ष्मण भाई मीठा लागे भिलणी रा बोर-२ अण रे वनों में भाई कबु नहीं आया, फिर गया चारोई ओर । मारा लक्ष्मण भाई मीठा लागे भिलणी रा बोर-२ ऐडा़ ऐडा़ बोर माता कौशल्याजी देता, नहीं करें इण री हौड़ । मारा लक्ष्मण भाई मीठा लागे भिलणी रा बोर-२ इण रे बोरो में लक्ष्मण कोई कोई मीठो, मीठा ज्योरी खांडी हैं कोर । मारा लक्ष्मण भाई मीठा लागे भिलणी रा बोर-२ तुलसीदास प्रभु आस रघुवर री, सबरी री भक्ति में जोर । मारा लक्ष्मण भाई मीठा लागे भिलणी रा बोर-२ मीठा लागे सबरी री रा बोर ॥टेरा॥ मारा लक्ष्मण भाई मीठा लागे भिलणी रा बोर-२ । 

सीताजी ने कौण हरी/ रामायण भजन

 मारा लक्ष्मण भैया सीताजी ने कौण हरी-२ सीताजी ने कौण हरी-२ ॥टेर॥ मारा छोटे भाई सीताजी ने कौण हरी । उड़ उड़ काग लक्ष्मण कुटिया पर बोले, कुटिया सूनी रे पड़ी ।  मारा छोटे भाई सीताजी ने कौन हरी-२ लावो लकड़ियां लक्ष्मण करो उजियारा, पगलियां जोवो तो खरी । मारा लक्ष्मण भाई सीताजी ने कौन हरी-२ सीताजी रो हरणो लक्ष्मण पिताजी रो मरणो, दोय-दोय विपत पड़ी । मारा लक्ष्मण भाई सीताजी ने कौण हरी-२ केतो आयो लक्ष्मण लंकापति रावण, के कोई सिंहडे़ चढ़ी । मारा लक्ष्मण भाई सीताजी ने कौण हरी-२ तुलसीदास प्रभु आस रघुवर की,  सीताजी री ख़बर पड़ी । मारा लक्ष्मण भाई सीताजी ने कौण हरी-२  सीताजी ने कौण हरी-२ ॥टेर॥ मारा लक्ष्मण भाई सीताजी ने कौण हरी-२ ।  भावार्थ : जब श्री राम मृग के पिछे और माता सीता के कहने पर लक्ष्मण श्री राम के पिछे चले जाते हैं इतने में रावण आकर सीता का हरण कर चला जाता हैं जब दोनों भाई कुटिया की और बढ़े रास्ता लम्बा था आकर देखा तो झोपड़ी पर एक कौआ जोरो से बोल रहा था, तब भगवान माता सीता को कुटिया में ना पाया तो इधर उधर ढूंढने लग जाते हैं, आवाज लगाते हुए लक्ष्मण से कहते हे म...

जाय वन में हरि ने कुटिया बणाई/ रामायण भजन

 जाय वन में हरि ने कुटिया बणाई रे ! जाय वन में । कुटिया बणाई हरि ने झुपड़ी बणाई रे ! जाय वन में । चित्रकूट पर बनी कुटिया सोवन चिड़ी लगाई, आस पास में बाग बगीचा रे हां/हां/हे.. सोवन मिरगो चरवा ने आई रे-२ जाय वन में हरि ने कुटिया बणाई रे ! जाय वन में । राम लक्ष्मण दोई मिलकर बैठा सीता वात हलाई, अपणे वाग में हलियो मृगलो हां/हां/हे.. उण मिरगा री खाल मारे मन भाई रे-२ जाय वन में हरि ने कुटिया बणाई रे ! जाय वन में । अतरी बात सुण रामजी धनुष बाण उठाई । मैं तो जावा मृग मारवा हां/हां/हे.. चेतन रहना मेरा छोटे भाई रे ।  जाय वन में हरि ने कुटिया बणाई रे! जाय वन में । आगे जाय आवाज लगाई लक्ष्मण ने बुलाई । तरे मरता रो जावे जिवड़ो हां/हां/हे.. झारी भर लावो मेरा छोटे भाई रे-२ जाय वन में हरि ने कुटिया बणाई रे! जाय वन में । मरग मारने राम घर आया सूनी कुटिया पाई, तुलसीदास भजो भगवाना हां/हां/हे.. सीता गंवाई मारा लक्ष्मण भाई रे-२ जाय वन में हरि ने कुटिया बणाई रे ! जाय वन में ।