जाय वन में हरि ने कुटिया बणाई/ रामायण भजन
जाय वन में हरि ने कुटिया बणाई रे ! जाय वन में ।
कुटिया बणाई हरि ने झुपड़ी बणाई रे ! जाय वन में ।
चित्रकूट पर बनी कुटिया सोवन चिड़ी लगाई,
आस पास में बाग बगीचा रे हां/हां/हे..
सोवन मिरगो चरवा ने आई रे-२
जाय वन में हरि ने कुटिया बणाई रे ! जाय वन में ।
राम लक्ष्मण दोई मिलकर बैठा सीता वात हलाई,
अपणे वाग में हलियो मृगलो हां/हां/हे..
उण मिरगा री खाल मारे मन भाई रे-२
जाय वन में हरि ने कुटिया बणाई रे ! जाय वन में ।
अतरी बात सुण रामजी धनुष बाण उठाई ।
मैं तो जावा मृग मारवा हां/हां/हे..
चेतन रहना मेरा छोटे भाई रे ।
जाय वन में हरि ने कुटिया बणाई रे! जाय वन में ।
आगे जाय आवाज लगाई लक्ष्मण ने बुलाई ।
तरे मरता रो जावे जिवड़ो हां/हां/हे..
झारी भर लावो मेरा छोटे भाई रे-२
जाय वन में हरि ने कुटिया बणाई रे! जाय वन में ।
मरग मारने राम घर आया सूनी कुटिया पाई,
तुलसीदास भजो भगवाना हां/हां/हे..
सीता गंवाई मारा लक्ष्मण भाई रे-२
जाय वन में हरि ने कुटिया बणाई रे ! जाय वन में ।
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