खोल भ्रम रो तालो हे मां



दोहा:

 सिर सुंधा धड़ कोटड़ा पग पिछोला री पाल।

मां विराजे आहोर में ज्यारे गले फूला री माल॥

"खोल भ्रम रो तालो हे मां"



इंदिरा पूरी से उतरी हे मां 

थारे हाथ भलक रियो भालो-२

कर मां देवल में अजवालो 

मां खोल भरम रो तालो मारी मां.हो.मां..

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सुंधा गढ़ में बैसनो हे मां 

भेलो भेरू हैं मतवालों-२

देवी खोल भरम रो तालो 

करजो मंदिर में अजवालो

मां खोल भ्रम रो तालो मारी मां.हो.मां

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ऊंचे भाखर बैसनो हे मां 

थोरे सिंह चले मतवालों-२

मैया खोल भरम रो तालो

कर मां मंदिर में अजवालो

मां खोल भ्रम रो तालो मारी मां.हो.मां

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सात बेनो रो जुलनो हे मां 

थोरे खोले खेतल प्या IITरो-२

मां खोल भरम रो तालो

करजो देवल में अजवालो

मां खोल भ्रम रो तालो मारी मां.हो.मां

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भावपुरी भव देखियो हे मां 

भूलो ने मार्ग गालों-२

मां खोल भरम रो तालो 

करजो देवल में अजवालो  

बाबो डूंगरपूरी बोलियां हे मां

हूं मैं शरणो रो रखवालो

करजो देवल में अजवालो

मां खोल भ्रम रो तालो मारी मां हो.जी..

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