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Showing posts with the label गणपति भजन

हाल मारी सजनी देव मनावो

दोहा : पेला किण ने  मनाविये   किण रा लिजे नाम, मात पिता गुरु ओपणा अलख पुरूष रा नाम। ★★★ शंख मजिरा वीणा रे वाजिया, जती सती ढोल गुरावेला,  अंग रो मेल उतार देवी उमिया,  वण रो गणेश बणावेला,  हाल मारी सजनी देव मनावों। ________________________________ रिद्धि सिद्धि रो दाता आवेला,  स्वामी सुंडालो घर आवेला,  हाल मारी सजनी देव मनावों। ________________________________   कंकु केसर री गार गलावु मोहे, मोतिया रा चौक पुरावोला, चार जुगो रा पंडत बुलावेन,  गणपत नोम धरावोला,  हाल मारी सजनी देव मनावो ________________________________ स्वामी सुंडालो घर आवेला,  रिद्धि रो दाता आवेला, हाल मारी सज्जनी देव मनावों। ________________________________ सीता ने कुंता रानी द्रोपदा, माई पारवता आवेला! चार- जुगो रा जोशी रे बुलावो,  गणपत पाठ विराजेला,  हाल मारी सजनी देव मनावों।  ________________________________ रिद्धि सिद्धि रो दाता आवेला,  स्वामी सुंडालो घर आवेला,  हाल मारी सजनी देव मनावों।  ________________________________ केसर ला...

गुरोसा थारी वाड़ी फूलो छाई

दोहा: आ तन वस री वेलड़ी गुरू अमृत री खाण, शिष दिया सतगुरु मिले तो भी सस्ता जाण। गुरु देवन के देव हो आप बड़े जगदीश, बेड़ी भवजल वीच में तारो विश्वाविस। ★★★ गुरोसा थारी वाड़ी फूलो छाई,  असन जुगो री ओलखाई,  जुगा जुगो री ओलखाई, गुरोसा थारी वाड़ी फूलो छाई। _______________________________ गणपति देवा थरपना थोरी, देवा सिवरूं शारद माई,   गजानन मासु सनमुख रइयो,  मेहर करो महमाई, गुरोसा  थारी वाड़ी फूलो छाई। _______________________________ धूप दीप से करूं रे आरती,  मोतीयन चौक पुराई,  भैरू रा वायक फिरे भाईड़ा,  दुश्मन दूर हटाई गुरोसा,  थारी वाड़ी फूलो छाई। _______________________________ अण वाड़ी में चम्पो मरवो,  चनण केल ओलखाई,  इण वाड़ी रा फूल अजब है,  फल होशियारे पाई गुरोसा,  थारी वाड़ी फूलो छाई। _________________________________ माली बड़ो मुक्त रो दाता,  फूलो री छाब भराई,  इण फूलों सू बणियो सेवरो,  शिवजी रे मुकुट चढ़ाई गुरोसा,  थारी वाड़ी फूलो छाई। _________________________________ माई बीज रे मेले मलिया,...

गजानन देव बड़ा मतवाला

दोहा: गंवरी सुत श्री गणपति हिए बिराजो आय। मैं बालक नादान हूं करजो मारी स्याय॥ गवरजा के लाडला शंकर सुत महाराज। थाने सिवरू गणपति रिद्धी-सिद्धी भरतार॥ सरस्वती मात गजानन, सिवरू लंबी सूंड रखवाला,  रिद्धि सिद्धि नारी संग विराजे, शिव शक्ति रा बाला, गजानन देव बड़ा मतवाला, थोरे हाथ खडग दोय भाला,  गजानन देव बड़ा मतवाला। ________________________________ दुध चढ़ाऊं देवा फूल चढ़ाऊं, और   चढ़ाऊं   थोने मेवा, लाड़ू वाली साब चढ़ाऊं, सन्त  करे  थोरी  सेवा, गजानन देव बड़ा मतवाला। थोरे हाथ खडग दोय भाला,  गजानन देव बड़ा मतवाला। ________________________________ राम जी सिवरे लक्ष्मण सिवरे, सिवरे   दस  अवतारा, वेद पढंता ब्रम्हा जी सिवरे, वेद   उच्चारण   वाला, गजानन देव बड़ा मतवाला। थोरे हाथ खडग दोय भाला, गजानन देव बड़ा मतवाला। ________________________________ राजा सिमरे प्रजा सिमरे, सिमरे जोगी  जटा धारा, उठ प्रभाते व्यापारी सिवरे, रोजी   पूरण  वाला,  गजानन देव बड़ा मतवाला। थोरे हाथ खडग दोय भाला, ग...

गवरी रा लाल गणेश मनाऊं पढ लो भगवत गीता

दोहा: सुंडाला दुःख भंजहार सदा जो बाली वेष, चारो पहली सिवरिये श्री गंवरी नंद गणेश। चालत सिवरूं शारदा बैठत सिवरूं महेश, भुला आखर सिद करो गंवरी नंद गणेश। गवरी री रा लाल गणेश मनाओ, पढ़ लो भगवत गीता, सिंह आसरा वन रा,  वन आसरा सिंह रा, करो भजन गणपत रा,  कटे पाप जन्म रा। ________________________________      पोणी ऊपर पत्थर तारिया-२  एई है रोम दथरथ रा, सिंह आसरा वन रा  वन आसरा सिंह रा,  करो भजन गणपत रा,  कटे पाप जन्म रा । ________________________________ लंका माथे डंका दीना-२  एई है कोम हड़मत रा,  सिंह आसरा वन रा  वन आसरा सिंह रा, करो भजन गणपत रा, कटे पाप जन्म रा.। ________________________________ पियाले जायेन नाग नाथियो  एई है कोम कृष्ण रा, सिंह आसरा वन रा, वन आसरा सिंह रा  करो भजन गणपत रा, कटे पाप जन्म रा । ________________________________ डूबते वाणिया री जहाज तारी, जटे आया पीर पचम रा,  सिंह आसरा वन रा, वन आसरा सिंह रा  करो भजन गणपत रा, कटे पाप जन्म रा । ________________________________ दोय कर जोड़ खाती बगसो ब...

मोरे मनाया आवजो/ गणपति भजन

 सरस्वती सिमरूं शारदा रे गणपति लागू पाय-२  मनाया आवजो रे, गंवरी रा लाल गणेश मनाया आवजो रे !  शिव शंकर लाल गणेश । अदर सिंघासन बैसणो रे, थोरे पेरण पितांबर वेश-२ मनाया आवजो रे ! गंवरी रा लाल गणेश... माता थोरी पार्वती जी, थोरा पिता शंकर देव-२ मनाया आवजों जी गंवरी रा लाल गणेश... सिमरे देवी देवता रे, सिमरे शहरियां रो लोक-२ मनाया आवजो रे गंवरी रा लाल गणेश... बाई अंबूरी वीणती रे,  शरणा में राखो हमेश-२ मनाया आवजो रे गंवरी रा लाल गणेश...

गणपत गवरा ओपणा सिवरूं भाई संतो/ वाणी भजन

 गणपत गवरा ओपणा रे सिवरूं भाई संतों । भव सागर में झूलता रे पद हमके लादो ॥ टेर : मारा सतगुरु हेलो मारियो रे सुतोड़ा जागो, शुरा पुरा रो खेलणो रे कायर डर भागो.... नदी किनारे बैठणो रे जल पिणो ठाडो । केणो गुरोसा रो मानणो रे पग धरणो आगो ॥ बीज खेत में वावणो रे खारस मत वावो । किनी कमाई आडी आवसी रे गाडा भर लावो ॥ हिरला वणजो हेत रा रे अमरापुर पुगो । मोती समंद में निपजे रे होय हंसा चुगो ॥ मौज हुई मन परो होयो रे सायब घर मेलो । निर्मल होय ने हरि भजो रे सुख सागर गेलो ॥ केवु दिवाना देश री रे साची कर मानो । धर्मीदास धन हेरिया रे ऐतबारो राखो ॥

गण नायक विघ्न हरो देवा/ गणपति भजन

गण नायक विघ्न हरो देवा । सुख संपत्ति दीजो आय के गण नायक विघ्न हरो देवा । पार्वती के तुम हो लाला, मैं जपता हूं तेरी माला । खोल मेरे हिरदे के ताला, ज्ञान बतावो आय के ! गुण से विधा भरो देवा ॥ मात गवरजा सिया सती, मैं सिवंरू कैलाश पति । बलवंता हनुमान जति हैं लायो संजीवन जाय के ! रघुवर के काज सरो देवा ॥ रवि शषि शेष सकल गुण सारा, अड़सठ तीरथ गंग की धारा । पुष्कर तीर्थ रघुराज प्यारा नैया पड़ी मझधार में ! पापी ने पार करो देवा ॥ मात पिता गुरुदेव गौसाई जन्म लियो गुरु ज्ञान बताई । धनशिव लाल शरण में आई दर्शन दीजो आय के ! भवसागर पार करो देवा ॥

गौरी के नंदा गजानन भजन

 गौरी के नंदा गजानन । विघ्न हरो महाराज गजानन गौरी के नंदा । पिता तुम्हारे हैं शिव शंकर मस्तक पर चंदा । माता तुम्हारी पार्वती मां सारे जगत वंदा ॥ मुषक वाहन सुंड सुंडाला फरसा हाथ लेता । गले वैजन्ती माल विराजे चढ़े पुष्प गंधा ॥ जो नर तुमको नहीं मनाता उसका भाग्य मंदा । जो नर तेरी करें सेवना चले विफल धंधा ॥ विघ्न हरण मंगल करण विधा वर देता । कहता कालुराम भजन से कटे पाप फंदा ॥

महाराज गजानन आवो / गणपति भजन

 महाराज गजानन आवो मारी सभा में रंग बरसावो । रणक भवन से आवो विनायक संग में रिद्धि सिद्धि लावो । उच्चे आसन आप विराजो दुनिया ने दर्शन देवों । पार्वती के लाल गजानन शिवजी के मन भावों । कंकु केसर री घार गलावो रिम झिम पांव रखावो । रामजी आवो देवा लक्ष्मण आवो संग में सीता सती लावो । ब्रह्मा जी आवो विष्णु पधारो संग में सरस्वती लावो । तानसेन देवा तेरो गुण प्रभु  गावे बेड़ा पार लगावो ।

बिना भजन कुण तिरिया

निवण बड़ी संसार में नहीं निवे सो नीच, निवे नदी रो गुंदलो वो रेवे नदी रे बीच, निवे आंबा आमली निवे सो दाड़म दाख, अरंड विचारा क्या निवे ऊंची कहिए साख। आम फले नीचो निवे और अरंड आकाशो जाय, सुगरा नुगरा री आ पारखा केशो जी समझाय। आदू आदू पंथ निवण पद मोटो, संगत संत वाली करिया संतों, बिना भजन कुण तिरिया। _________________________________ मुखा कवल बिच चेतन चौकी, गणपत आसन धरिया, आसन पुर अडिग होय बैठा, ध्यान धणी रा धरिया सन्तों,  बिना भजन कुण तिरिया। _________________________________ पहली निवण मारा माता पिता,  ने उथ पुथ पालन करिया, दूजी निवण मारी धरती माता, ने जिण पे पगला दरिया संतो,  बिना भजन कुण तिरिया। _________________________________ तीजी निवण मारा गुरूदेव, ने हिरदे उजाला करिया, चौथी निवण सत्संगत ने,  जिण में आय सुधरिया संतो, बिना भजन कुण तिरिया। _________________________________ निवण करूं ज्योति स्वरूपी, होय इंद्र ओलरिया, अम्रत बुंदा बरसण लागी, निवण जटे जल भरिया संतो,  बिना भजन कुण तिरिया। _________________________________ भरिया ज्याने भ्रमना व्यापे, खाली वे खरबड़...

सिमरू देवी शारदा गुणपत(धारू मेघ)भजन

                                 सिमरू देवी शारदा गुणपत लागू पाय रे ।          सुंडाला ने सिमरिया भूला आखर बताय रे ॥   धूप है महाराज थोने,धूप है गुरू देव ने,          आरती अवतार ने,वंखला हङमान ने !          माई रे हींगलाज ने,          खेवू गुंगर धूप हरि ने हे हा ।        आंगणिये रल आवणो मन्दिरये परियाण हे।          मंदरिया में ज्योत जागे,संतो रे मुख नूर हे॥        कौन देवी रो गागरो कौन देवी रो सिर हे।         कौन देवी रो कंछवो कौन ज्यारा वीर हे॥        धरण देवी रो गागरो असमान देवी रो सीर हे।         तारा मंडल कन्छवो     चांद सूरज वीर हे॥       एक डोरी राम री दूजी हरि रे नाम री ।         तीजी डोरी संतो री ले चढ़ो निरवाण हे॥...