गणपत गवरा ओपणा सिवरूं भाई संतो/ वाणी भजन
गणपत गवरा ओपणा रे सिवरूं भाई संतों ।
भव सागर में झूलता रे पद हमके लादो ॥
टेर : मारा सतगुरु हेलो मारियो रे सुतोड़ा जागो,
शुरा पुरा रो खेलणो रे कायर डर भागो....
नदी किनारे बैठणो रे जल पिणो ठाडो ।
केणो गुरोसा रो मानणो रे पग धरणो आगो ॥
बीज खेत में वावणो रे खारस मत वावो ।
किनी कमाई आडी आवसी रे गाडा भर लावो ॥
हिरला वणजो हेत रा रे अमरापुर पुगो ।
मोती समंद में निपजे रे होय हंसा चुगो ॥
मौज हुई मन परो होयो रे सायब घर मेलो ।
निर्मल होय ने हरि भजो रे सुख सागर गेलो ॥
केवु दिवाना देश री रे साची कर मानो ।
धर्मीदास धन हेरिया रे ऐतबारो राखो ॥
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