बिना भजन कुण तिरिया

निवण बड़ी संसार में नहीं निवे सो नीच,
निवे नदी रो गुंदलो वो रेवे नदी रे बीच,
निवे आंबा आमली निवे सो दाड़म दाख,
अरंड विचारा क्या निवे ऊंची कहिए साख।

आम फले नीचो निवे और अरंड आकाशो जाय,
सुगरा नुगरा री आ पारखा केशो जी समझाय।



आदू आदू पंथ निवण पद मोटो,

संगत संत वाली करिया संतों,

बिना भजन कुण तिरिया।

_________________________________

मुखा कवल बिच चेतन चौकी,

गणपत आसन धरिया,

आसन पुर अडिग होय बैठा,

ध्यान धणी रा धरिया सन्तों, 

बिना भजन कुण तिरिया।

_________________________________

पहली निवण मारा माता पिता,

 ने उथ पुथ पालन करिया,

दूजी निवण मारी धरती माता,

ने जिण पे पगला दरिया संतो, 

बिना भजन कुण तिरिया।

_________________________________

तीजी निवण मारा गुरूदेव,

ने हिरदे उजाला करिया,

चौथी निवण सत्संगत ने, 

जिण में आय सुधरिया संतो,

बिना भजन कुण तिरिया।

_________________________________

निवण करूं ज्योति स्वरूपी,

होय इंद्र ओलरिया,

अम्रत बुंदा बरसण लागी,

निवण जटे जल भरिया संतो, 

बिना भजन कुण तिरिया।

_________________________________

भरिया ज्याने भ्रमना व्यापे,

खाली वे खरबड़ियां,

भेलावे भड़ा भड़ वाजे 

न्यारा न्यारा विखरिया संतो, 

बिना भजन कुण तिरिया।

_________________________________

बिना पाल भवसागर भरिया,

घणा डुबा थोड़ा तरिया,

दोय कर जोड़ लिखमोजी बोले,

 गुरू वचन से उबरिया सन्तों, 

बिना भजन कुण तिरिया। 

_________________________________

आदू आदू पंथ निवण पद मोटो, 

संगत सन्त श्री करिया सन्तों,

 बिना भजन कुण तिरिया।


Comments

Popular posts from this blog

वायक आया गुरुदेव रा रूपा जमले पधारों/ लिरिक्स भजन

साधु भाई सतगुरु साक भरेलो

गोविन्द रा गुण गाय बन्दा उमर जावे