सियाराम का डंका लंका में/रामायण भजन
सियाराम का डंका लंका में
बजवा दिया बजरंग बाला ने ।
बजवा दिया बजरंग बाला ने
वो अंजनी मां के लाला ने-२
सियाराम का डंका लंका में
बजवा दिया बजरंग बाला ने ।
सुती मंडोवर सपनों आयो,
सपनों विश्ववा विष जी ! हो..जी..
कुदत देखिया रीछ वानरा,
कटता देखिया शिष । हो..जी..
सियाराम का डंका लंका में,
बजवा दिया बजरंग बाला ने ।
केवे मंडोवर सुण मारा पियाजी,
आ कोई कुमति कमाई ! हो..जी..
तीन लोक री माता हैं जानकी,
वाने क्यूं हर लाई हो..जी..
सियाराम का डंका लंका में,
बजवा दिया बजरंग बाला ने ।
तिरिया जात अकल री ओछी,
उण री करें बढ़ाई हो..जी..
पंचवटी से पकड़ मंगवा दूं ,
राम लखन दो भाई हो..जी..
सियाराम का डंका लंका में,
बजवा दिया बजरंग बाला ने ।
मेघनाथ से पुत्र हमारे,
कुंभ करण बल भाई रे ।
लंका जेड़ा कोट हमारे,
सातों समुद्र री खाई हो..जी..
सियाराम का डंका लंका में,
बजवा दिया बजरंग बाला ने ।
हनुमत जेड़ा पायक उनके,
लक्ष्मण हैं बल भाई हो..जी..
जलती अग्नि में कुद पड़े वे,
खोट गिणे ना खाई हो..जी..
सियाराम का डंका लंका में,
बजवा दिया बजरंग बाला ने ।
रावण मार राम घर आए,
घर घर बंटे बधाई हो..जी..
सुरनर मुनिजन करें आरती,
तुलसीदास जस गाई हो..जी..
सियाराम का डंका लंका में,
बजवा दिया बजरंग बाला ने ।
बजवा दिया बजरंग बाला ने,
अंजनी मां के लाला ने ।
सियाराम का डंका लंका में,
बजवा दिया बजरंग बाला ने ॥
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