कारण कौन नाथ मोहे मारा/ रामायण भजन
कारण कौन नाथ मोहे मारा रे,
कारण कौन ।
टेर : नाथ मोहे मारा श्री राम मोहे मारा-२
कारण कौन ।
मैं बैरी सुग्रीव हैं प्यारा
कौन कारण मोहे मारा
सिंह मार वन खाली किना
गीदड़ रा कोई थे लिना रे सहारा ।
कारण कौन नाथ मोहे मारा,
कारण कौन ।
थने मारियो पाप नी लागे
तू राजा हत्यारा
छोटे भाई री नार चुराई
कुण देखें बालि मुख तुम्हारा
कारण कौन नाथ मोहे मारा
क्षत्रिय वंश में ये धर्म नहीं
बाण दगा कर मारा
सनमुख होय करता लड़ाई
जोय लेतो रामा जोर तुम्हारा
कारण कौन नाथ मोहे मारा
जिवे तो और जिवा दूं
करले राज दुलारा
मन में खोट कपट से बालि
चले नहीं जुग संसारा
कारण कौन नाथ मोहे मारा
तुलसीदास भजो भगवाना
हरि चरणे बलिहारा
गढ़ लंका जीतन जाओ
संग राखोला पुत्र अंगद हमारा
कारण कौन नाथ मोहे मारा
टेर : नाथ मोहे मारा श्री राम मोहे मारा-२
कारण कौन नाथ मोहे मारा
कारण कौन ।
भावार्थ:
(वानरराज बाली से जो भी युद्ध करने जाता था तुरंत आधी शक्ति बालि में आ जाती थी इसलिए श्री राम ने पिछे से बाली की पीठ पर बाण चलाकर उसे गिरा दिया)
इस भजन में बाली ने भगवान से प्रश्न किया हैं जब बाली धरण पर गिरा तब श्री राम को देख भावुक हो गया,और कहने लगा हे प्रभु मैं दुश्मन (वैरी) नहीं सुग्रीव आपका मित्र नहीं फिर भी आपने सुग्रीव के कहने पर मुझे मार दिया, हे प्रभु आपको नहीं पता इस पुरे जंगल में एक शेर था बाली वह मर गया आज से जंगल पुरा सुनसान हो गया और हे प्रभु मेरा भी सुग्रीव तो गीदड़ हैं जो स्वयं की रक्षा नहीं कर सकता उससे क्या उम्मीद हैं आपको...?
बाली कहता हे राम क्यूं मारा मुझे बताओ
श्री राम बोले हे वानर राज बाली तुम्हे मारने की वजह सुग्रीव नहीं है और ना ही मुझे सुग्रीव ने आपको मारने के लिए कहां,
बाली तुम्हे अपने कर्मों की सज्जा मिली है तू एक राजा हैं मगर हत्यारा भी हैं तूने अपने ही छोटे भाई की स्त्री का हरण किया हैं ग्रंथों में लिखा है यद्यपि कोई इंसान पराई स्त्री पर ग़लत नजर से देख लेता हैं तो भी वह दोषी माना जाता है बाली तू तो इससे भी बड़ा महादोषी है, तू राजा हैं बाली मगर हत्यारा राजा हैं! और हत्यारे राजा को जीने कोई अधिकार नहीं,
तब बाली ने कहां प्रभु यह मेरी सबसे बड़ी गलती थी, हे प्रभु मुझसे ग़लती हो जाने पर श्री राम ने मुझे मार दिया गया यदि स्वयं राम से भूल गलती हो जाए तो उनको भी सज्जा मिलती है क्या..?
भगवन बोले हां बाली गलती की सज्जा परमात्मा को भी मिलती है, तब बाली ने कहां हे प्रभु आपकी भी एक गलती हैं क्षत्रिय वंश में सुना था हमेशा वार सामने से होता है पर हे राम आपने तो दिशा और दशा दोनों बदल दी, प्रभु यदि आप मेरे सामने आकर खड़े हो गए होते तो मैं भी नाप लेता श्री राम में कितनी शक्ति हैं।
भगवान बोले हां बाली यह मेरी ग़लती है की मैंने तुम्हें चतुराई से मारा मगर मैं अपनी गलती के बदले तुम्हे जीने का एक और मौका दे रहा हूं परन्तु आज से बाली नेकी पर (धर्म के हित) राज करना होगा,
तब बाली ने कहां नहीं प्रभु जो स्वयं भगवान के हाथ से मरे वह कभी जीना नहीं चाहेगा हे प्रभु अब तो मेरी बस दो इच्छा पुरी जाए स्वयं की मोक्ष हो जाए और मेरे पुत्र अंगद को श्री राम की शरण मिल जाए ! तब भगवन ने बाली को मोक्ष गति और अंगद को अपनी सेना में लेना का वचन दे दिया ।
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