सन्तों पीयो राम रस प्यासा
सन्तों पीयो राम रस प्यासा।
विघन मंडल में अमिरस,
बरसे उन मुन के घर वासा,
सन्तो पियो राम रस प्यासा।
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शिष उतार धरे गुरू आगे,
नहीं करें तन री आशा,
ऐसा मुंगा अमि बिकत है,
छ: रितू बारह मासा सन्तों
पीवो राम रस प्यासा।
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मौल करे तो थके दूर,
से तौलत तुटे तासा,
जो पीवे जुग जुग जिवे,
कदे नी होत विनाशा सन्तों,
पीवो राम रस प्यासा।
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इण रसकाल नृपभया जोगी,
छोङिया भोग विलासा,
कनक सिंहासन धरिया,
रेवे भस्म रमावे उदियासा,
सन्तों पीयो राम रस प्यासा।
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