सतरी संगत गंगा गोमती भजन

सतरी संगत गंगा गोमती,

सरस्वती काशी परियागा रे ।

लाखों पापीडा इण में उबरया,

डर जमड़ो रो भागा ॥

सत री संगत गंगा गोमती..।


ध्रुव जी ने प्रहलाद जी,

सत्संग नारद जी से किनी रे ।

विष्णुपुरी बैकुंठ में,

सुरपति आदर वाने दीन्हीं रे ॥

सत री संगत गंगा गोमती ।


रतना करमा शबरी भीलणी,

सैना धन्ना और नामा रे ।

सतसंग रे प्रताप सूं ,

पाई सुखडे़ री धामा रे ॥

सत री संगत गंगा गोमती ।



शेतखाना रो 1 फ्रासता,

नर्पत कन्या चित्त चाही रे ।

सतसंग रे प्रताप सूं

भूपा भेंट चढ़ाई ॥

सत री संगत गंगा गोमती ।


तपोवर भूमि सू रघुवर निसरया,

रज चरणा री लागी ।

चरण पखारत अहिल्या उबरी,

दिल री दुरमती भागी ॥

सत री संगत गंगा गोमती..।


धूळ धरे गज शिष पर,

ईश्वर रे मन भाई ।

जिण रज स्यूं अहिल्या उबरी,

वा रज खोजै गजराई ॥

सत री संगत गंगा गोमती.. ।

Comments

Popular posts from this blog

वायक आया गुरुदेव रा रूपा जमले पधारों/ लिरिक्स भजन

साधु भाई सतगुरु साक भरेलो

गोविन्द रा गुण गाय बन्दा उमर जावे