पेला पेला नाम तुम्हारा लिजे/ गणपति भजन
पेला पेला नाम तुम्हारा लिजे,
रिद्धि सिद्धि दो गणपत स्वामी ।
भक्तों रे काज भोप ने दलिया,
प्रहलाद ऊबारियो संग माई ॥
ऐड़ा ऐड़ा वचन संभाल मारा दाता
जग में महिमा हैं भारी !
सावरा री किरत भजो भव तारण
एक अरज मालिक मारी....॥
बलियोडा़ आम दिया दुर्वासा,
घर वावो पांडव तोई ।
पांडवे प्रीत राम सू राखी,
आंम्बो उगायो छिन माई ॥
पांच पांडव ने छठी द्रोपदा,
सतवंती कुंता माई ।
सत रे काज हिमाले गया,
देह गाली पहाड़ों माई ॥
राजा हरिश्चंद्र राणी तारादे,
वणे झाली सतडा़ री डोरी ।
सत रे काज काशी में बिकीया,
नीच कर भरियो अन पाणी ॥
जद अजमल जी हता वांजिया,
मालिक थोरो भजन कियो ।
करणी रे काज गोविन्द घर आया,
आए रूणिचे अवतार लियो ॥
कुण लोभी ने कुण लालची
कुण करणी रो हैं कासो,
मन लोभी ने मन हैं लालची
मन करणी रो हैं कासो ।
बगसाजी अरज करे मालिक ने,
हरि भजन हैं हासो ॥
ऐड़ा ऐड़ा वचन संभाल मारा दाता
हरदम वातो हैं थोरी ।
सांवरा री किरत भजो भव तारण
एक अरज मालिक मारी ॥
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