जाति रो कारण हैं नहीं भजन

 जाति रो कारण हैं नहीं सिवरे ज्योरो साईं रे ।

सिमर-२ नर पोछिया, खोजो घट रे माई रे ॥

जाति रो कारण हैं नहीं सिंवरे ज्योरो साईं रे ।


ऋषि 88 धूणी तापता वन खंडों रे माई रे ।

वटे तापी शबरी भिलणी कछू अंतर नाई रे ॥

जाति रो कारण हैं नहीं सिंवरे ज्योरो साईं रे ।


आ कस्तूरी मुंगा मौल री इणे किणे मोलाई रे ।

लख पतियों रे आई नहीं करोड़ पति कद पाई रे ॥

जाति रो कारण हैं नहीं सिंवरे ज्योरो साईं रे ।



यज्ञ रचायो पांचे पांडवे हस्तिनापुर माई रे ।

शंख नाद नहीं वाजियो द्रोपद आंगण माई रे ॥

जाति रो कारण हैं नहीं सिंवरे ज्योरो साईं रे ।


निची जात शमार री गुरु किना मीरा बाई रे ।

राणोजी परचो मांगियो गंगा कुंड में दिखाई रे ॥

जाति रो कारण हैं नहीं सिंवरे ज्योरो साईं रे ।


रामदास सिमरे राम ने खेड़ापा माई रे ।

राजा प्रजा निवण करें फर गई राम दुआई रे ॥

जाति रो कारण हैं नहीं सिंवरे ज्योरो साईं रे ।

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