राम रो राख भरोसो भारी/ भक्तमाल वाणी भजन
राम रो राख भरोसो भारी ।
भलो वेला भगवत ने भजिया
सोई भजो नर नारी राम रो राख भरोसो भारी ।
श्रियादे मात सेवा में बैठी घुमती फिरे मंझारी ।
के तो बछिया परा उभारों नियो काया होम दूं मारी ॥
ध्रुव प्रहलाद जगत सु देखी झाली सेवा तुम्हारी ।
भक्तों रे काज भोप ने दलिया प्रहलादा ने तारी ॥
चढ़िया राम लुटण गढ़ लंका पल में लंका डारी ।
रावण मार विभिषण थापियो प्रीत आगली पारी ॥
गज और ग्राह लड़े जल माई लड़त-2 गज हारी ।
तिल भर सूंड रही जल बाहर रामो राम पुकारी ॥
इतनी सुण हरि विष्णु जी गुरूड़ किनी असवारी ।
चक्र चलाएं रामा फंद काटियो डुबत गज ने तारी ॥
इंद्र कोप कियो बज्र ऊपर बरसे मुसलाधारी ।
गोप ग्वालियो ने ऊबारिया जद बणिया गिरधारी ॥
इतनी सुण विश्वास जेलियो झेली सेवा तुम्हारी ।
दोय कर जोड़ लिखमोजी बोले भवसागर से तारी ॥
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