दुनियादारी औगणकारी ज्याने भेद
सन्त सगा सत्संग सगा तीजा सगा राम,
तुलसी इण जीव ने तीन ठौड़ विश्राम।
दुनियादारी ओगण कारी,
जाने भेद मत दईजे रे,
हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे।
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इण काया में अष्ट कमल हैं,
ज्योरी निंगे कराइजे ए हेली
म्हारी निर्भय रहीजे रे।
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जाय संगत में बैठ सुहागण,
साच कमाइजे ए हेली,
म्हारी निर्भय रहीजे रे।
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धन में गरीबी मन में फकीरी,
दया भावना राखिजे रे हेली,
हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे।
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ज्ञान झरोखे बैठ सुहागण,
झालो दईजे ए हेली
म्हारी निर्भय रहीजे।
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त्रिवेणी घर तीन पदमणी,
उने जाए बतालाईजे रे,
हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे
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सत बाण पर बैठ सुहागण,
सीधी आईजे ए हेली,
म्हारी निर्भय रहीजे रे।
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हरी चरणों में शीश झुकाईजे,
गुरु वचनों में रहीजे ए हेली
म्हारी निर्भय रहीजे रे।
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कहत कबीर सुणों भाई
साधु शीतल होइजे ए हेली,
म्हारी निर्भय रहीजे रे।
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