दुनियादारी औगणकारी ज्याने भेद

सन्त सगा सत्संग सगा तीजा सगा राम,
तुलसी इण जीव ने तीन ठौड़ विश्राम।


दुनियादारी ओगण कारी,

जाने  भेद मत  दईजे रे,

हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे।

_____________________________

इण काया में अष्ट कमल हैं,

 ज्योरी निंगे कराइजे ए हेली 

म्हारी निर्भय रहीजे रे।

_____________________________

जाय संगत में बैठ सुहागण,

साच कमाइजे ए हेली,

 म्हारी निर्भय रहीजे रे।

_____________________________

धन में गरीबी मन में फकीरी,

दया भावना राखिजे रे हेली,

हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे।

_____________________________

ज्ञान झरोखे बैठ सुहागण,

झालो दईजे ए हेली 

म्हारी निर्भय रहीजे।

_____________________________




त्रिवेणी घर तीन पदमणी,

उने जाए बतालाईजे रे,

हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे

_____________________________

सत बाण पर बैठ सुहागण,

सीधी आईजे ए हेली,

म्हारी निर्भय रहीजे रे।

_____________________________

हरी चरणों में शीश झुकाईजे,

गुरु वचनों में रहीजे ए हेली

म्हारी निर्भय रहीजे रे।

_____________________________




कहत कबीर सुणों भाई 

साधु शीतल होइजे ए हेली,

 म्हारी निर्भय रहीजे रे।

_____________________________

दुनियादारी औगणकारी,

ज्याने भेद मत दईजे ए,

हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे।

Comments

Popular posts from this blog

वायक आया गुरुदेव रा रूपा जमले पधारों/ लिरिक्स भजन

साधु भाई सतगुरु साक भरेलो

गोविन्द रा गुण गाय बन्दा उमर जावे