अब कैसे होवे जग में जिवणों मारी हेली

 अब कैसे होवे जग में जिवणो !

म्हारी हेली-२ ॥टेर॥

लागा शब्द रा बाण हेली,

लागा विरह रा तीर-२॥



घर गया कामण लड़े म्हारी हेली,

भाई गिणे नहीं वीर हेली-२।

ज्या रा मुरसद घरे नहीं म्हारी हेली, 

नैणा बरसे नीर हेली-२॥


अब कैसे होवे जग में जिवणो!

म्हारी हेली-२ ॥टेर॥

लागा शब्द रा बाण हेली,

लागा विरह रा तीर-२॥



कर जोडया कामण खड़ी म्हारी हेली-२,

ओढण बहुरंग चीर हेली-२।

सतगुरु मिलिया म्हाने सागडी़

म्हारी हेली-२, 

आछी बंधाई धीर हेली-२॥


अब कैसे होवे जग में जिवणो!

म्हारी हेली-२ ॥टेर॥

लागा शब्द रा बाण हेली,

लागा विरह रा तीर-२ ।



केडी़ बादलिया री छायली म्हारी हेली-२,

काई नुगरा री प्रीत हेली-२।

कोई नाडोल्या में नावणो म्हारी हेली-२,

पडीय़ो समद में सीर हेली-२‌॥


अब कैसे होवे जग में जिवणो !

म्हारी हेली-२ ॥टेर॥

लागा शब्द रा बाण हेली,

लागा विरह रा तीर-२॥



हर दरियाव अथंग जल भरियो हेली-२

हंसा चुगे नित हीर हेली-२।

शब्द भलाउ संग ले चलो म्हारी हेली-२,

कह गए दास कबीर हेली ॥


अब कैसे होवे जग में जिवणो!

म्हारी हेली-२ ॥टेर॥

लागा शब्द रा बाण हेली,

लागा विरह रा तीर हेली-२॥

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