सांवरियो गिरधारी रे/ प्रभाती भजन
सांवरियो गिरधारी रे ॥टेर॥
आप बिना मोरी कोन खबर ले ।
मंझारी सुत दिया अग्न में,करुणा करे कुमारी रे ।
चार बरतन प्रभु कोरा राखिया,खेलत सुत मनजारी रे ॥
आप बिना मोरी कोन खबर ले,
सावरियो गिरधारी रे ॥टेर॥
गज और ग्राह लड़े जल भीतर लड़त-लड़त गज हारी रे।
तिल भर सुंड रही जल बाहर रामो राम पुकारी रे ॥
आप बिना मारी कौन खबर ले,
सांवरियो गिरधारी रे॥टेर॥
टीयू-२ करती आई टीतोडी, भारत रचियो भारी ।
भारत में भंवरी रा इंडा ,सिर पर घंटा डारी ॥
आप बिना मोरी कोन खबर ले,
सावरियो गिरधारी रे ॥टेर॥
द्रोपदी चीर दुशासन खेचयो,पांच पांडव घर नारी रेे ।
खेचत चीर असंगज बढ़ियो,लाज राखी बनवारी रे ॥
आप बिना मोरी कोन खबर ले,
सावरियो गिरधारी रे ॥टेर॥
इन्द्र कोप कियो ब्रज उपर, बरसीयो मूसलधारी।
गोपी ग्वालों ने तार दिया प्रभु,नख पर गिरवर धारी॥
आप बिना मोरी कोन खबर ले,
सावरियो गिरधारी रे ॥टेर॥
आगे भक्त अनेक ऊबारिया अब के बेल हमारी रे ।
कहे नरसी सुणो सांवरा राखो लाज हमारी रे ॥
आप बिना मारी कौन खबर ले,
सांवरियो गिरधारी रे ॥टेर॥
भावार्थ :
नरसी भक्त उस वक्त भगवान से कहते हैं हे सांवरे तेरे ही भरोसे मैंने अपना सब कुछ लुटा दिया, आज मेरे पास मायरा भरने के लिए एक कपड़ा तक नहीं हैं ! आपके बिना मेरी खबर पुछने वाला कोई नहीं है,
हे सांवरा तूने बिल्ली (मंझारी) के बच्चों (सुत) को अग्नि से बचा लिया उस भीषण आग में बिल्ली के बच्चों के लिए भोजन की व्यवस्था कर भी आपने की ।
हे प्रभु हाथी भक्त था जब हाथी और मगरमच्छ का तातृक पहाड़ के पास नदी में युद्ध हुआ शास्त्र में बखान हैं दस हजार वर्ष तक वह युद्ध लड़े अंत में हाथी हार गया तो आपने मगरमच्छ का सुदर्शन चक्र से सिर काट दिया और हाथी जैसे भक्त को बचा ही लिया ।
इस नरसी की बेटी नानी के लिए चुनड़ी लेकर आना ही होगा ।
हे सांवरा महाभारत में आपने टीटोड़ी के बच्चों के लिए अनन्त व्यवस्था कर उनको भी तार दिया ।
हे प्रभु इंद्र ने ब्रज वासियों पर क्रोध किया तब आपने सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर धारकर पुरी ब्रज नगरी को तार दिया ।
हे प्रभु इतनों को तारा हैं अब तेरा ही सहारा है मेरी नानी के लिए यह छोटा सा मायरा भरने आपको आना ही होगा ।
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