भक्ति राजी होय ने कीजो
दोहा:
सगरामा संसार में माला मोटी बात,
धन्य नर जो फेरसी फेरे दिन ने रात,
फेरे दिन रात कमाई लागे हद भारी,
के सुरगा जावसी के मोनको तैयारी,
ऊंचे ठिकोणे जन्मसी गणा जोड़े हाथ,
सगरामा इ संसार में माला मोटी बात।
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पेला दिल ओपणो होजो,
पसे पोमड़ो दीजो! करो-
सरदा सतगुरु जी रे आगे,
हिम्मत हार मती रीजे,
भक्ति राजी होय ने कीजो।
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जो थारो मन क्यो नी मोने,
दोष गुरो ने मत दीजो,
भक्ति राजी होय ने कीजो।
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झूठी निंदा कुबद कठारी,
ए पेला तज दीजे! सत-
गुरु श्याम मुक्ति रा दाता,
वोरो शरणो लीजो वो,
भक्ति राजी होय ने कीजो।
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जो थारो मन क्यो नी मोने,
दोष गुरो ने मत दीजो,
भक्ति राजी होय ने कीजो।
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जो तरवा थोरे इच्छा वे तो,
तुरंत तैयारी कर लीजो,
शिष उतार धरियो गुरू आगे,
तन मन अर्पण कीजो,
भक्ति राजी होय ने कीजो।
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जो थारो मन क्यो नी मोने,
दोष गुरो ने मत दीजो,
भक्ति राजी होय ने कीजो।
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आला पिंगला सोज सुखमणा,
घर त्रिवेणी रो लीजो! कहें-
कबीर सुणो भाई सन्तों,
सदा आनन्द में रीजो,
भक्ति राजी होय ने कीजो।
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जो थारो मन क्यो नी मोने,
दोष गुरो ने मत दीजो,
भक्ति राजी होय ने कीजो।
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