सन्तों नेचे ग़रीबी नाया




दोहा:

कछू क्रम कछू कर्मगति कछु भव पूरब रा लेख,
कछू मिरे सतगुरु सागड़ी कछू पोते ही वेत विवेक।

भक्ति भाव से ऊपजे नहीं भक्ति के वंश,
हिरणाकुश घर प्रहलाद अग्रसेन घर कंस।

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 सन्तो नेचे गरीबी नाया।

शब्दों रा बात सिमरो बड़-

भागी उन मून ध्यान लगाया

 सन्तों नेचे गरीबी नाया।

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पूरब लेख लिखिया मारा-

 सतगुरु वोही पदार्थ पाया,

घणी निवण मारी मात पिता-

ने गुरू मुख खेल वताया, 

 सन्तों नेचे ग़रीबी नाया।

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 शब्दों रा बात सिमरो बड़-

भागी उन मून ध्यान लगाया

 सन्तों नेचे गरीबी नाया।

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माला फेर भूल मती गाफल,

अब तेरा अवसर आया,

नेम धर्म साजे कोई शुरा 

जमड़ा ने दूर भगाया, 

सन्तों नेचे ग़रीबी नाया।

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 शब्दों रा बात सिमरो बड़-

भागी उन मून ध्यान लगाया

 सन्तों नेचे गरीबी नाया।

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प्रजा ऊपर राजा छाया,

 तप तपसी रा दाया,

मनक जमारो रत्न अमो-

लक सत भजनों सू पाया,

 सन्तों नेचे ग़रीबी नाया।

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 शब्दों रा बात सिमरो बड़-

भागी उन मून ध्यान लगाया

 सन्तों नेचे गरीबी नाया।

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जोग जुगत शिवपुरी जी-

 बताया ब्रह्मपुरी दर्शाया,

चैनदास सन्तों रे चरणे,

 गुरू आगे शिष झूकाया,

 सन्तों नेचे ग़रीबी नाया। 

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 शब्दों रा बात सिमरो बड़-

भागी उन मून ध्यान लगाया

 सन्तों नेचे गरीबी नाया।

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