गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी

गणपत सुरसत शारद सिंवरू

 दीजो अनुभव वाणी।

 परसत परसत पीर परसिया

परसी पीरों री निशाणी

संतों ! गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी ॥


ज्ञान सुणावे कियो हरि नेड़ो

बात आगम री जाणी 

 संतों ! गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी ॥


दिल में दरशिया प्रेम से परसिया

सतगुरा री सेलाणी

अगम निगम रा भेद बताया

आद जुगत ओलखाणी

संतों ! गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी॥


अल्लाह खुदा अलख निरंजन

निराकार निर्वाणी

हरदम हेर घेर घर लावो

मिळी आ तो सतरी निशाणी

संतों ! गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी॥


गुरु अवधूता पूरा मिळिया

गुरु मिळिया गम जाणी। 

कहे हेमनाथ सुणो भाई सन्तों

सुरता सहज समाणी

संतों ! गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी॥

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