सतगुरु आया बिणजारा
दोहा:
गुरू ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा,
गुरू साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:
आज मारे सतगुरु आया बिणजारा।
ज्ञान गुणा री बाळद लाया,
हीरा लाया अपारा,
मूंगी चीजो लाया अमोलक
ऐसा हैं गुरु प्यारा आज,
मारा सतगुरु आया बिणजारा।
ऐसो डाव फेर नहीं आवे,
मिले ना दूजी बारा रे आज,
मारे सतगुरु आया बिणजारा।
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प्रेम भक्ति की हाटां खोली,
लाला मोती जवारां,
गुरुमुखी वे सो सौदा कर ले,
भटकत फिर है गँवारा आज,
मारे सतगुरु आया बिणजारा।
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जिण घर सत संगत नहीं होवे,
वण घर जमड़ा करे है पुकारा,
आठों पेर बठे रेवे उदासी,
वे जावें नरक दवारा आज,
मारे सतगुरु आया बिणजारा।
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जिण घर सत संगत नित होवे,
वटे संतजन करे पुकारां,
आठों पोहर हरी रा गुण गावे
जावे साहिब के दवारा आज,
मारे सतगुरु आया बिणजारा।
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साहेब कबीर मिल्या गुरु पूरा,
बिणज किया अति भारा,
धर्मीदास दासा के दासा,
ह्रदय में सिरजन हारा आज
मारा सतगुरु आया बिणजारा।
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ऐसो डाव फेर नहीं आवे,
ऐसो डाव थारो पाछो कोणी आवे,
मिले ना दूजी बारा रे आज मारा,
सतगुरु आया बिणजारा।
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