डूंगरपुरी सेक फरीद वार्ता
दोहा:
जल से पतला कौन है कौन भूमि से भारी,
कौन अग्न से तेज है कौन काजल से कारी।
जल से पतला ज्ञान हैं पाप भूमि से भारी,
क्रोध अग्न से तेज है कलंक काजल से कारी।
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डूंगरपुरी जी महाराज->
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अवल वोणी अवल खोणी,
अवल रा उपदेश हासी केतो
झूठी माने वे नर है बेकार,
अवगुण कारा गणा दिठा,
मुखे मीठा अंतर झूठ वचनो,
रा हीणा कदे नी सैण गुरो था।
सेक फरीदा:>
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सतगुरु पारस खोण है,
लोहा जुग संसारा रति,
एक पारस संग रमे,
कंचन कर दे सारा,
ऐसो सतवादी मारो सायबो,
(हैं कोई ब्रह्म ज्ञानी सायबो)
उपजे ब्रह्म विचारा,
सतगुरु साहेब तो एक हैं।
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डूंगरपुरी जी महाराज:>
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लेवता गुण ले नी जोणे,
अजोणो रो आहार हैं,
नुगरो सू हेत केड़ा,
केड़ी नुगरो रे कार हैं,
अवगुण किया गणा दिठा,
मुख मीठा अंदर झूठा,
वचनों रा हीणा कदी,
नी वे सैण गुरो रा।
सेक फरीदा:>
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इण शब्दों में मारो मन बसे,
उंडा उंडा नीर अपारा,
डूबी मारूं गुरू रे नाम,
री सोजु कण ने सारा,
ऐसो सतवादी मारो सायबो,
(हैं कोई ब्रह्म ज्ञानी सायबो)
उपजे ब्रह्म विचारा,
सतगुरु साहेब तो एक हैं।
डूंगरपुरी जी महाराज:>
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आक में अमृत सिंचियो,
सिंचियो निराधार रे,
पहले मीठा पसे खारा,
अन्त खारो खार हैं,
अवगुण किया गणा दिठा,
मुख मीठा अंदर झूठा,
वचनों रा हीणा कदी,
नी वे सैण गुरो रा।
सेक फरीदा:>
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सीप समंद में रेत हैं,
संमदर रो कोई लेत,
बुंद पड़े असमान सु,
सोभा शायरियां ने देत,
ऐसो सतवादी सायबो,
(हैं वही ब्रह्म ज्ञानी सायबो)
उपजे ब्रह्म विचारा,
सतगुरु सायब तो एक हैं।
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डूंगरपुरी जी महाराज:>
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चकर में एक पत्थर पड़ियो,
पत्थर रो परिवार हैं,
नीम रे नारेल केड़ा,
केड़ो नुगरा रो एतबार हैं,
अवगुण किया गणा दिठा,
मुख मीठा अंदर झूठा,
वचनों रा हीणा कदी,
नी वे सैण गुरो रा।
सेक फरीदा:>
इण शब्दों रो सोदो करो,
हीरे हीरे गुण भरेवा,
आवे हीरो या पारखु,
मुंगे मुंगे मौल बिकेवा,
ऐसो सतवादी सायबो,
(हैं वही ब्रह्म ज्ञानी सायबो)
उपजे ब्रह्म विचारा,
सतगुरु सायब तो एक हैं।
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