प्रणाम गुरूदेव जी ने बारम्वार
प्रणाम गुरूदेव जी ने बारम्वार,
बारम्वार मेरी घणी घणी वार,
प्रणाम गुरूदेव जी ने बारम्वार ।
_______________________________
एक पारी ब्रह्मा री रूप चतुधर,
लीला किनी रे अपार,
प्रणाम गुरूदेव जी ने बारम्वार।
_______________________________
ब्रह्मा रूप धर वेद प्रकट कर,
रचियो सकल संसार,
प्रणाम गुरूदेव जी ने बारम्वार।
_______________________________
विष्णु रूप धर विश्व रो-
पालन धर्म हेत अवतार,
प्रणाम गुरूदेव जी ने बारम्वार।
_______________________________
रूद्र रूप धर दुष्ट रूलावन,
पल में करत संहार,
प्रणाम गुरूदेव जी ने बारम्वार।
_______________________________
अचलुराम जिवा रे हित कारा
गुरू मुरती लिया धार
प्रणाम गुरूदेव जी ने बारम्वार
_______________________________
भावार्थ :
अचलुराम जी कहते हैं तीनों देव ब्रह्मा विष्णु महेश ने मिलकर इस पृथ्वी पर मानव और उसके जीवन के लिए भिन्न भिन्न कार्य जिम्मा उठाया ।
प्रथम पहर में भगवान ब्रह्मा जी ने चतुधर का रूप कर अपनी लीला से वेदो की उत्पत्ति की, जिससे मानव का नियमानुसार का कार्य चलता रहें इसलिए ब्रह्मा जी दुनिया के संचालन करने वाले हुएं ।
भगवान विष्णु को पुरे विश्व का पालन करने कार्य दिया गया, आज भी मानव के भरण पोषण का जिम्मा भगवान विष्णु के पास है। इसलिए भगवान विष्णु संसार के ओपरेटर हुएं।भगवान शंकर को रूद्र भी कहां जाता है यानि दुष्ट राक्षसों का विनाश (संहार) करने का कार्य भगवान शंकर ने अपने हाथों में लिया ।
अंत में अचलुराम जी कहते हैं मानव जीवन में इस जीव का उद्धार करना हैं तो आपको गुरू का चरण लेना आवश्यक है।
क्यूं कि हमारे शरीर में बंधन के अलग अलग ताले लगे हैं जिसकी चाबी गुरू के पास होती है, जिस तरह बिना ताला खोले आप घर के अंदर नहीं जा सकते उसी तरह हमारा शरीर भी ताले से बंद हैं जब तक नहीं खुलेगा तब तक हम परमात्मा का आभास भी नहीं कर सकते ।
Comments
Post a Comment