काया रे नगर में नीम उगायो


दोहा:

सन्त बड़े  परमार्थी शीतल  ज्योरा अंग,
तपत बुझावे ओरन की दे भक्ति में रंग।

सन्त हमारी आत्मा और मैं संतन रो दास,
रोम रोम में राम रया ज्यो फुलड़ो में वास।
★★★





 काया नगर में एक नीम,

उगायो जिण कुपलियो,

खारी खारी ने मीठी कर,

 राखो आप बड़ा उपकारी,

सुंदर- काया भज लेना,

 कृष्ण मुरारी।

★★

 भलो होवे भगवत ने भजियो,

सोई भजो नर नारी रे,

सुंदर काया भजन लेणा,

कृष्ण मुरारी।

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काया नगर में एक वेद 

बुलायो ओगद रो उपकारी-

और दवाई ज्योरे काम नी-

आवे कारी कर्म वाली लागी,

 भज लेना कृष्ण मुरारी,

सुंदर काया भज लेना

कृष्ण मुरारी।

***********

 भलो होवे भगवत ने भजियो,

सोई भजो नर नारी रे,

सुंदर काया भजन लेणा 

कृष्ण मुरारी।

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काया नगर में आयो,

वणजारो हीरो रो व्यापारी, 

आधा में लाया डोडा एलची,

आधा में लौंग सुपारी, 

सुंदर काया भज लेना

 कृष्ण मुरारी।

***********

 भलो होवे भगवत ने भजियो,

सोई भजो नर नारी रे,

सुंदर काया भजन लेणा 

कृष्ण मुरारी।

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काया नगर में तपसी तापे,

मोर मुकुट जटाधारी दे-

 परिक्रमा ज्योरे पाय लागे,

 चांद सुरज री बलियारी सुंदर- 

काया भज लेणा कृष्ण मुरारी॥

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 भलो होवे भगवत ने भजियो,

सोई भजो नर नारी रे 

सुंदर काया भजन लेणा 

कृष्ण मुरारी।

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 काया नगर में चोपट डाली,

अद वच नोकी जाली,

कहे कबीर सा सुणो,

भाई सन्तों कुण जीता

 कुण हारी  सुंदर काया 

भज लेना कृष्ण मुरारी। 

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 भलो होवे भगवत ने भजियो,

भजिये जावो रे नर नारी रे 

सुंदर काया भजन लेणा 

कृष्ण मुरारी।

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