चौंसठ जोगणी रे देवी देवलिये/माताजी भजन

चोसठ जोगिनी रे देवी रे देवळिये रम जाय ॥टेर॥

घूमर घालनी रे देवी रे देवळिये रम जाय ।


हंस सवारी कर जगदंबा ब्रम्हाळ रूप बनायो ।

चार वेद मुख चार कहिजे, चार वेद जस गायो ॥

घूमर घालनी रे देवी रे देवळिये रम जाय ।


गरुड़ सवारी कर जगदंबा विष्णु रूप बनायो ।

गदा पदम संग चक्र बिराजे, मधुबन रास रचायो ॥

घूमर घालनी रे देवी रे देवळिये रमजाय ।





बैल सवारी चढ़ जगदंबा शिवजी रूप बनायो ।

जटा मुकुट मै गंगा बिराजे. शेष नाग लीपटायो ॥

घूमर घालनी रे देवी रे देवळिये रम जाय ।


सिह सवारी कर जगदंबा शक्ति रूप बनायो ।

सियाराम तेरी करें स्तुति,तुलसीदास जस गायो ॥

घूमर घालनी रे देवी रे देवळिये रम जाय । 

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