हंसला एकलड़ी कोई मेलों


दोहा:

कहे  सन्त सगराम सुणो सज्जन मिता,
राम रटो दिन रात लक्ष्मण ने कयो सीता,
लक्ष्मण ने सीता कयो अर्जून ने भगवान,
पार्वती ने शिव कयो थे धरो राम रो ध्यान,
धरो राम रो ध्यान ए निच दिन जावे वीता,
कहे सन्त सगराम सुणो सज्जन मिता।
★★★





गेली काया भई रे दीवानी 

ओ हंसलो नहीं रेलों,

कुड कपट रा दागा मेटलो,

ज्ञान वाली कुंडी खोलो रे

 हंसला एकलडी कोई मेलो।

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विकट वनी में भव है घणेरो,

कटे रे पाडुला हेलो ए हंसला,

एकलडी कोई छोड़ो...जी..

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पूरब प्रीत पेहसानो हंसा,

बढ़ बढ़ कोई थे बोलो,

अड़ी कोई मन मे गोटियों पड गी, 

गोठो कपट री खोलो हंसला,

 एकलडी कोई मेलो..जी.

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विकट वनी में भव है घणेरो,

कटे रे पाडुला हेलो ए हंसला,

एकलडी कोई छोड़ो...जी..

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सिंह रो चोलो मन पर पहरियो,

बन कर रेहला चेलो,

सिंग ने चितरी जोड़े हालिया,

कीकर कटसी गेलो रे हंसला,

एकलडी कोई मेलो..जी..

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विकट वनी में भवर है घणेरो,

कटे रे पाडुला हेलो ए हंसला,

एकलडी कोई छोड़ो..जी..

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 सोनो रूपो मुझपे पहरता,

बाके राखता ठेलो,

तट के प्रीत तोड़ने हालिया,

कीकर कटसी गेलो रे हंसला,

 एकलडी कोई मेलो..जी..

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विकट वनी में भवर है घणेरो,

कटे रे पाडुला हेलो ए हंसला,

एकलडी कोई छोड़ो...जी..

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 जद हंस राजा करेला सड़ाई,

नगरी में होसी हेलो,

चार जना थारे बेले हालसी,

लारे मडसी मेलो रे हंसला,

एकलडी कोई मेलो..जी..

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विकट वनी में भवर है घणेरो,

कटे रे पाडुला हेलो ए हंसला,

एकलडी कोई छोड़ो...जी..

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लक्ष्मण गिरी गुरु पूरा मिलिया,

भाग पुरबलो भेलो,

डाल कपन्ति मंगलो बोले 

मिलियो मिक्ति रो गेलो रे हंसला,

एकलडी कोई मेलो..जी..

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विकट वनी में भवर है घणेरो,

कटे रे पाडुला हेलो ए हंसला,

एकलडी कोई छोड़ो...जी..

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