अतरी वातो रो हरि ने ओलबो
दोहा:
नागर वेल निर्फल गई सोना गया सुगन्ध,
कुंजर का धीणा गया भूल गया गोविंद।
★★★
अतरी वातो रो हरि ने ओलबो,
क्यों भुल्यो रे भगवान,
क्यों भूल्यो रे किरतार अतरी
वातो रो हरि ने ओलबो रे..
_____________________________
पिपलियो झूरे सायबा फूल,
विना फल विन नागरवेल,
वोझणी झूरे सायबा पुत्र,
विना ए केड़ा कुदरत खेल॥
अतरी वातो रो हरि ने ओलबो,
क्यों भुल्यो रे भगवान,
क्यों भूल्यो रे किरतार अतरी
वातो रो हरि ने ओलबो रे..
_____________________________
देवलिये बिना केड़ी मुर्ति,
पुत्र बिना रे परिवार,
सालों रे बिना केड़ो सासरो,
कुछ करे रे मनवार॥
अतरी वातो रो हरि ने ओलबो,
क्यों भुल्यो रे भगवान,
क्यों भूल्यो रे किरतार अतरी
वातो रो हरि ने ओलबो रे..
_____________________________
गायों रो ग्वालियो सायबा मरजो,
मती खोड़ो मत सुरजी रो सोंड,
नेनो रे थको रा मायत मरजो,
मती मत वेजो बालक रोंड॥
अतरी वातो रो हरि ने ओलबो,
क्यों भुल्यो रे भगवान,
क्यों भूल्यो रे किरतार अतरी
वातो रो हरि ने ओलबो रे..
_____________________________
Comments
Post a Comment