ओ तन पावणो रे बीरा मत कर


दोहा :

कबीरा गंदी देय का हमको भरोसा नाय,
काले मिलो बजार में फेर मसोणा माय।
आया हैं नर जायेगा राजा रंक फकीर,
कोई सिंहासन चढ़ चले कोई बंधे जंजीर।

★★★


 

ओ तन पावणों रे बीरा,

मत कर मान गुमान,

परसु आज काल में थारो,

ओ छोड़ चले मेहमान, 

ओ तन पावणों रे बीरा

मत करो मान गुमान।

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 नदी नाला सब बिछडे,

बिसडीयो मिले ना थू

क्यों गाफल सोय रयो रे

समझ देख मन माय,

ओ तन पावणों रे बीरा,

मत करो मान गुमान।

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मौत खड़ी सिर ऊपरे रे,

जीवणो है जूठी आस,

क्या जानू कद आवसी,

सांस बटाऊ ड़ो वास,

ओ तन पावणों रे बीरा, 

मत करो मान गुमान।

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 सत्र सिंहासन छोड़ के-

बिरा मर मर गया रे अमीर,

अब तो बंदा चेत जा रे,

थारो कासों दाग़ शरीर,

ओ तन पावणों रे बीरा,

 मत कर मान गुमान।

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झूठी जग री मोहनी,

जूठा तन धन धाम,

रामचरण अब चेत जा,

थोड़ो सुमर सनेही राम,

ओ तन पावणों रे बीरा,

मत कर मान गुमान ।

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परसो आज काल में थारो,

ओ छोड़ चले मेहमान, 

ओ तन पावणो रे बीरा, 

मत कर मान गुमान ।

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