मारो हीरो गमायो कचरा में


दोहा:
 कहे सन्त सगराम जी हाथ में हीरा आया,

पड़ी नहीं पहचान गाल गोपण में वाया,

वावत वावत वाविया लारे वसियो एक,

आया हीरो या पारखु रोयो माथो सेप,

रोयो माथो सेप ऐड़ा मैं घणा गमाया,

सन्त कहे सगराम जी हाथ में हीरा आया,

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पांच पच्चीस वाला झगड़ा मैं,

 मारो हीरो गमायो कचरा में, 

मारो हीरो गमायो कचरा में।

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 अगम बतावे कोई पिछम बतावे, 

कोई बतावे पाणी पत्थरा में, 

मारो हीरो गमायो कचरा में।

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तीर्थ बतावे कोई व्रत बतावे, 

कोई बतावे माला जपणा में,

मारो हीरो गमायो कचरा में।

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ऋषि मुनि पीर अवलिया, 

काया गवां दीवी मगरा में, 

मारो हीरो गमायो कचरा में।

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ब्राह्मण होय ने वेद ना जाणे, 

पोती गमाई सब नखरा में, 

मारो हीरो गमायो कचरा में।

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जोगी होय जो मुक्त ना जोणे, 

पड़िया चौरासी रा चक्करा में, 

मारो हीरो गमायो कचरा में।

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 दास कबीर सा ने हीरो लादो, 

धीरब मिली एक सत राह में,

पांच पच्चीस वाला झगड़ा मैं,

 मारो हीरो गमायो कचरा में। 

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