थारी मोह माया ने छोड़ क्रोध ने
दोहा:
जाणो हैं रैणो नहीं मरणा विशवाविष,
दो दिना रे कारणे क्यों भूले जगदीश।
ओ मेलों संसार को अटे आवा जावा री रीत,
ऐसी करणी कर चलो थारा दूनिया गावे गीत।
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थारी मोह माया ने छोड़,
क्रोध ने तज दे थारी उमर,
नीति जाय राम ने भज ले।
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थारी डगमग हाले चाल नाड़,
कमर गई झूक रे थारे सिर पर,
घूमे काल अगाड़ी तज रे।
थारी मोह माया ने छोड़....
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थारा बदलिया काला केश,
धोलो ने लज रे थारी आंख्यो,
बुझे नाई कान गया रूक रे,
थारी मोह माया ने छोड़....
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थारी परणी छोड़यो प्रेम,
नहीं थारे हद रे थारा बेटा,
बोले बोल मरेला कद रे,
थारी मोह माया ने छोड़....
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