थारी मोह माया ने छोड़ क्रोध ने


दोहा:

जाणो हैं रैणो नहीं मरणा विशवाविष,
दो दिना रे कारणे क्यों भूले जगदीश।

ओ मेलों संसार को अटे आवा जावा री रीत,
ऐसी करणी कर चलो थारा दूनिया गावे गीत।
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थारी मोह माया ने छोड़,

क्रोध ने तज दे थारी उमर, 

नीति जाय राम ने भज ले।

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थारी डगमग हाले चाल नाड़,

कमर गई झूक रे थारे सिर पर,

घूमे काल अगाड़ी तज रे। 

थारी मोह माया ने छोड़.... 

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थारा  बदलिया काला केश,

धोलो ने लज रे थारी आंख्यो, 

बुझे नाई कान गया रूक रे,

थारी मोह माया ने छोड़.... 

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थारी परणी छोड़यो प्रेम,

नहीं थारे हद रे थारा बेटा,

बोले बोल मरेला कद रे,

   थारी मोह माया ने छोड़....  

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कहत कबीर कर जोड़,

बालद गई लद रे थारो लेको,

पुछेला राम मरेला जद रे, 

थारी मोह माया ने छोड़ 

क्रोध ने तज दे थारी उमर, 

बीती जाय राम ने भज ले। 

★★★★★






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