राम जी मिल जावे नेचो राखो सांची बात रो
दोहा:
तुलसी तन मन सेविये नेचे भजिये राम,
मिनख मजूरी देत हैं नहीं राखे भगवान।
अजगर करे ना चाकरी पंछी करे नी काम,
दास मलूका यूं कहे सबको देत भगवान।
दादू दूनिया बावली सोच करें मन गेली,
देवण वालों देवसी दिन उगा सू पेली।
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राम जी मगर जावे नेचो
राखो सांची बात रो सांव-
रियो मिल जावे नेचो राखो,
सांची बात रो।
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मात पिता री सेवा करलो,
तीरथ गंगा मात रो अटे,
दियोड़ो आगे मिलेला,
लेणो हाथो हाथ रो।
राम जी मगर जावे नेचो
राखो सांची बात रो सांव-
रियो मिल जावे नेचो राखो,
सांची बात रो।
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नुगरा नर रो संग नी करणो,
तिरिया चंचल जात रो,
मार्ग हैं मुक्ति रो भायो,
सत्पुरुषों रो साथ दो।
राम जी मगर जावे नेचो,
राखो सांची बात रो सांव-
रियो मिल जावे नेचो राखो,
सांची बात रो।
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सांचा सन्त सांची केवे,
मानो उण री बात को,
नर नारी दोनों ही समझो,
कारण नहीं है जात रो।
राम जी मगर जावे नेचो,
राखो सांची बात रो सांव-
रियो मिल जावे नेचो राखो,
सांची बात रो।
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